सृष्टि सेवा संकल्प,इंदौर महानगर इकाई द्वारा GSITS कॉलेज में “परिचर्चा” एवं “सृष्टि सेवा सम्मान” समारोह आयोजित किया गया

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इंदौर. हम सभी जानते है कि पर्यावरण संरक्षण व उसके उत्कृष्ट कार्य के लिए बहुत सारे पुरुस्कार दिये जाते है।वृक्षारोपण भी उन सम्मानित विषयों में से एक है।किंतु विशुद्ध रूप से वृक्षारोपण के लिए“सृष्टि सेवा सम्मान”पुरुस्कार संभवतः देश का पहला पुरुस्कार है जो वृक्षारोपण के लिए दिया जा रहा है। पीपल के रजत पत्र पर उकेरी गई सुंदर मीनाकारी से सज्जित पुरुस्कार एवं भोजपत्र पर अभिनंदन पत्र प्रतिवर्ष वृक्षारोपण से धरती माँ का विशेष श्रृंगार करने वाले पर्यावरण मित्र को दिया जाएगा। कृष्णकांत पांवर उज्जैन वन विभाग का एक ऐसा व्यक्तित्व जिन्होंने 6 बार अपनी नर्सरी को मध्यप्रदेश में प्रथम स्थान पर सम्मान दिलवाकर न केवल अपने सरकारी पद की गरिमा बढ़ाई।

इसके साथ ही आपने वृक्षारोपण के लिए स्वप्रेरणा से अपने निजी समय का समर्पित भाव से सदुपयोग किया। आपने समाज के सहयोग से अपनी ज़िम्मेदारी पर 3-4 वर्षों में 88000 पौधों का रोपण और सजगता के साथ उनका संरक्षण भी किया।वृक्षारोपण में विशेष योगदान के लिए दिये जाने वाले इस “सृष्टि सेवा सम्मान- 2023” पुरस्कार से उज्जैन में पदस्थ सहायक वन विस्तार अधिकारी श्री कृष्णकांत पवार को आपके इस सृजनात्मक कार्य के लिए सम्मानित किया गया।सम्मान समारोह के पश्चात वृक्षारोपण जन आंदोलन कैसे बने? इस विषय पर परिचर्चा हुई।

सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरुआत वृक्षारोपण कर वृक्ष की पूजा की गई। इसके बाद कार्यक्रम का संचालन ध्रुव जोशी,वत्सल अग्रवाल ने किया।इसके बाद अतिथियों का स्वागत जितेंद्र गोरे, दुष्यंत जी, दिनेश राय व हिमांशु शर्मा ने किया।सृष्टि सेवा सम्मान की प्रस्तावना अतुल व्यास, पिछले वर्ष सम्पन्न हुए उल्लेखनीय कार्यों का प्रतिवेदन अर्पित जायसवाल, एकलगीत बिपिन गुप्ता, आभार विपिन वाजपेयी व राष्ट्रगान स्वप्ना नामदेव नैंसी साहू ने लिया। इसके साथ ही प्रसन्नजित पांडेय, निमेश मेहता, अमन अग्रवाल, प्रकाश त्रिपाठी, पर्व वर्मा, माधव पांडेय, अनिल पांडेय विभिन्न व्यवस्थाएँ सँभाली।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सुस्मित व्यास सुप्रसिद्ध लेंड स्केप सलाहकार एवं पर्यावरणविद,विशिष्ट अतिथि डॉ राकेश जी सक्सेना निदेशक जीएसआईटीएस कॉलेज, मुख्य वक्ता श्री प्रमोद झा वरिष्ठ प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं अध्यक्षता श्री निक्की सुरेखा सॉफ्टवेर इंजीनियर एवं पर्यावरण विद ने की।