प्रिय श्री शिवराज सिंह चौहान जी,
भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आपकी दूसरी और तीसरी सरकार के समय वर्ष 2008 से 2018 के बीच की गई अनियमितताओं, नियम विरूद्ध नियुक्तियों की जांच अब ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। जबकि आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो को इस मामले में तेजी से जांच करते हुए आरोपियों के विरूद्ध चालान प्रस्तुत करना चाहिए।
‘‘भारतीय आत्मा’’ के रूप में देश में विख्यात दादा माखन लाल चतुर्वेदी के नाम से तीन दशक पूर्व स्थापित पत्रकारिता विश्व विद्यालय अब पूरे देश में अपने कारनामों के लिये कुख्यात है। आपके शासन काल में इस विश्वविद्यालय में हुई अनेक गड़बडि़यों की जांच के लिये 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ जी ने त्वरित जांच कराते हुए कुलपति सहित 20 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में 14 अप्रैल 2019 को एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी। तत्समय भी मेरे द्वारा इन संगीन घोटालों को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कठोर कार्यवाही की मांग की गई थी।
अनेक प्रकार के गबन और घोटालों से जुड़े इस मामले में कांग्रेस सरकार रहने तक तो ई.ओ.डब्ल्यू. ने त्वरित कार्यवाही कर दस्तावेज एकत्र किये और गड़बडि़याॅ करने वालों के विरूद्ध अदालत में चालान प्रस्तुत करने की तैयारी कर ली थी। लेकिन जैसे ही आपने बिना जनमत से खरीद फरोख्त कर पिछले दरवाजे से सरकार बनाई ई.ओ.डब्ल्यू. से सारी जांच राजनैतिक दबाव में शिथिल कर दी है। आप यह अच्छी तरह जानते है कि वर्ष 2008 से 2018 तक के एक दशक में आर.एस.एस. के लोग और संस्थाओं को किस तरह नियम विरूद्ध लाभान्वित कर करोड़ो रूपये फूंके गये थे।
आरक्षण नियमों की धज्जियाॅ उड़ाकर मुख्यमंत्री की नोटशीट के आधार पर नियुक्तियां की गई। यू.जी.सी. के नियमों को दरकिनार कर व्याख्याता, रीडर और प्रोफेसर सहित अनेक पदों पर नियुक्तियों की बंदरबांट की गई थी। ऐसा लगता था मानों इस पत्रकारिता विश्वविद्यालय में शासन के कोई नियम, निर्देश लागू ही नहीं होते थे। आश्चर्य है कि एक व्याख्याता जिसके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज है, दिल्ली स्थित केन्द्र सरकार के एक प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान का महानिदेशक बना दिया गया है। क्योंकि उसको आर.एस.एस. के शीर्ष प्रचारकों का संरक्षण प्राप्त है।
मैं चाहूँगा कि पत्रकारिता के युग पुरूष श्री माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर बने विश्वविद्यालय की साख को धूमिल होने से बचाने के लिये आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो को शीघ्र जांच पूरी कर मामला अदालत में ले जाने का निर्देश देंवे। इस घोटाले को लेकर लोग आशंका कर रहे है घोटाले और लिप्त कर्मचारी ई.ओ.डब्ल्यू. से सांठ-गांठ कर प्रकरण को दबाने का प्रयास कर रहे है।
मुझे जानकारी मिली है कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आपके कार्यकाल में हुए घोटालों को लेकर जबलपुर हाई कोर्ट में भी अनेक याचिकाएं दायर की गई है। जिसमें शासन का पक्ष तत्परता से नहीं रखा जाकर अनियमितताएं करके आपराधिक कृत्य करने वालों को बचाया जा रहा है। सभी याचिकाओं में सिर्फ कुछ विशेष लोगों को लाभांवित कर नियुक्तियां दिये जाने के मामलों को चुनौती दी गई है। यदि शासन ने इस मामले में शीघ्र कार्यवाही नहीं की तो मैं स्वतः उच्च न्यायालय में इस मामले को लेकर जाऊंगा।
मेरा आपसे अनुरोध है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर और तथाकथित सांस्कृतिक संगठन के दबावों से बाहर निकलकर ई.ओ.डब्ल्यू. को तत्काल आरोपियों के विरूद्ध अदालत में चालान प्रस्तुत करने के निर्देश देंवे। स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी दादा माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कालजयी रचना ‘‘पुष्प की अभिलाषा’’ का यह शताब्दी वर्ष है। घोटाले बाजों के खिलाफ सख्त कार्यवाही ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
सादर,
आपका
(दिग्विजय सिंह)
श्री शिवराज सिंह चौहान जी
माननीय मुख्यमंत्री,
मध्यप्रदेश शासन,
भोपाल, मध्यप्रदेश
प्रतिलिपि – महानिदेशक, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मध्यप्रदेश, अरेरा हिल्स, भोपाल की ओर आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित।
राज्यसभा सांसद एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बिजली दरों में 70 प्रतिशत तक वृद्धि करने के प्रयास पर कड़ी आपत्ति की है। श्री सिंह ने इसे जनता को अंधेरे में रखकर उसे लूटने की कोशिश बताया है। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा दिनांक 7 जून 2021 को विभिन्न समाचार पत्रों में आम सूचना छपवाकर लोगों से 5 जुलाई 2021 तक सुझाव देने एवं आपत्तियाॅं दर्ज करने को कहा गया है।
श्री सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा आम सूचना को अखबारों में अंग्रेजी भाषा में छपवाकर उन्हें अंग्रेजी में ही बनी वेबसाइट www.mperc.in पर जाने को कहा गया है जिस पर विद्युत दरों में 70 प्रतिशत तक वृद्धि संबन्धी 30 पृष्ठों का ड्राफ्ट अंग्रेजी में दिया गया है। आम लोगों से प्राप्त होने वाली आपत्तियों और सुझावों पर 6 जुलाई तक सुनवाई पूरी करके विद्युत दरों में संशोधन का निर्णय लिया जाना है। मध्यप्रदेश हिन्दी भाषी राज्य है जहाॅ आम जनता में से अधिकांश लोग हिन्दी भाषा समझते है। ऐसे में गुपचुप तरीके से अंग्रेजी में विज्ञापन प्रकाशित करवाकर लोगों को 30 पृष्ठों का अंग्रेजी में बनाया गया विद्युत दरों के संशोधन का ड्राफ्ट पढ़कर आपत्ति दर्ज करने को कहना दुर्भाग्यपूर्ण और आम लोगों के साथ मजाक करने जैसा है। ऐसा इसीलिए किया गया है ताकि आम लोगों को सरकार के इस निर्णय का पता न चले और आयोग को विद्युत दरें बढ़ाने के प्रस्ताव पर कोई आपत्तियाॅ प्राप्त न हो।
श्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय आम लोगों के लिये 100 यूनिट तक 100 रूपये प्रतिमाह में तथा 150 यूनिट तक सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही थी किन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा ने सत्ता में आते ही उपभोक्ताओं को बिजली के मनमाने बिल देना शुरू कर दिया। कुछ दिनों पूर्व ही भोपाल के नामी शायर श्री मंजर भोपाली को उनके घर के बिजली कनेक्शन के लिये दिया गया एक माह का रूपये 36.81 लाख का बिल इसका ज्वलंत उदाहरण है। किसानों को 5 हाॅर्स पाॅवर के कनेक्शन के लिये 10 हाॅर्सपाॅवर के मनमाने बिल दिये जा रहे है। ऐसे अनेक आम उपभोक्ता और किसान मनमानें बिजली बिलों से परेषान होकर बिजली दफ्तरों के चक्कर लगा रहे है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार को आम लोगों की तकलीफोें की कोई चिन्ता नही है।
कोरोना महामारी के कारण प्रदेश में लाखों लोग बेरोजगार हो गये है तथा उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। एक ओर लोग बेलगाम मॅहगाई से लोग जूझ रहे है वहीं दूसरी ओर सरकार चुपचाप बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव लाकर उपभोक्ताओं को अंधेरे में रखकर 70 प्रतिशत तक विद्युत दरें बढ़ाने जा रही है। यह घोर आपत्तिजनक है तथा सरकार को आम जनता की तकलीफों को ध्यान में रखते हुये वर्तमान समय में विद्युत दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि नही करनी चाहिए।