डायबिटीज, जिसे सामान्यत: मधुमेह कहा जाता है, अब केवल उम्रदराज़ लोगों तक सीमित नहीं है। यह तेजी से युवाओं को प्रभावित कर रही है। पहले यह बीमारी 50 वर्ष की उम्र के बाद देखने को मिलती थी, लेकिन अब 30-35 वर्ष की आयु के लोग भी बड़ी संख्या में इसके शिकार हो रहे हैं। मेदांता अस्पताल के कंसलटेंट इंडोक्रिनोलोजिस्ट और मधुमेह रोग विशेषज्ञ डा. तन्मय भराणी ने बताया कि युवाओं में डायबिटीज के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण बदलती जीवनशैली और खानपान की आदतें हैं। जंक फूड का अधिक सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी, और लंबे समय तक बैठने वाली नौकरियां इसके प्रमुख कारक हैं। इसके अलावा, तनाव भी डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाता है। जिन पेशों में अत्यधिक मानसिक दबाव होता है, वहां इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो अनुवांशिक कारणों से भी यह बीमारी हो सकती है। डायबिटीज के 50 प्रतिशत मामलों में यह साइलेंट किलर साबित हो सकती है। मरीजों में लक्षण स्पष्ट नहीं होते, लेकिन यदि कुछ लक्षण दिखाई दें, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
लक्षण
1. अत्यधिक प्यास लगना
2. बार-बार पेशाब आना
3. वजन का अचानक घटना
4. थकान और कमजोरी महसूस होना
5. धुंधला दिखाई देना
6. चोट या घाव का देर से भरना
नियमित जांच है जरूरी
डा. भराणी के अनुसार, डायबिटीज को समय रहते पकड़ना बेहद जरूरी है। हर व्यक्ति को, विशेष रूप से जिनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, सालाना जांच करवानी चाहिए। ऐसा नहीं है कि यदि आप स्वस्थ दिखते हैं तो आपको जांच की आवश्यकता नहीं है। डायबिटीज शुरुआती चरण में ही पकड़ में आ जाए, तो इसे बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।
ऐसे करें बचाव
– जीवनशैली में बदलाव करें।
– नियमित रूप से व्यायाम करें।
– संतुलित आहार लें।
– अत्यधिक तनाव ना लें।
– समय-समय पर शुगर लेवल की जांच करें।