इंदौर से बढ़ा गढ़ है धार, बेख़ौफ़ बिकती सस्ती शराब

Akanksha
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जिस तरह से इंदौर में नकली शराब की वजह से 5 मदिरा प्रेमियो को अपनी जान गंवानी पड़ गयी।जिसे लेकर आबकारी विभाग की खानापूर्ति और जांच जारी है। वहीं दूसरी तरफ अभी भी सरकार और अफ़सरो को जानकारी होने के बावजूद अवैध शराब,नकली शराब का जो गढ़ कहलाता है उस धार जिले में किसी भी तरह की कार्यवाही की सुगबुगाहट नजर नही आ रही है। कहने को तो धार इंदौर की अपेक्षा बहुत ही छोटा शहर है। लेकिन इसे अवैध शराब,नकली शराब को लेकर इंदौर का भी बाप बोलना गलत नही होगा। यहां से ही गुजरात तक अवैध शराब का परिवहन वर्षो से जारी है। लेकिन उक्त मामले को लेकर चिल्ला पुकार बस मुद्दा गर्म होने पर ही मचती है।

मुद्दा शांत और फिर कार्यवाही भी घूम। दरअसल धार के लगभग अधिंकाश मोहल्लों,कॉलोनियों और खासतौर से ढाबों पर अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से होती आ रही है। यह किसी से छुपा नही है। रोजाना धार और उसके आसपास ढाबो, की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है। वजह यह कि मोटा मुनाफा, और सुस्त पुलिस और आबकारी विभाग। यहां हर महीने एक से दो नए ढाबों की शुरुआत हो रही है। कई ढाबे तो ऐसे है जो शहरी इलाकों में ही संचालित किए जा रहे है। और बेख़ौफ़ अवैध शराब भी परोसी जा रही है। धार के कुछ चिन्हित इलाको में अवैध शराब की बिक्री और घर बैठे डिलेवरी तक जारी है।

खास बात यह है कि शासकीय ठेको की अपेक्षा अवैध शराब विक्रेता काफी कम दामो पर विदेशी से लेकर देशी शराब मुहैया करा देते है। फिर मदिरा प्रेमी इनके झांसे में क्यों नही आएंगे। जो शराब की बोतल शराब दुकानों पर एक हजार से 2 हजार में बिक रही है। वही बोतल यह अवैध शराब विक्रेता महज 600, 700 और 800 रुपये में उपलब्ध करवा रहे है। जांच के दो विषय है कि कहीं सस्ती के नाम पर बिक रही यह अवैध शराब नकली तो नही। या फिर खुद शराब ठेकेदार ही टेक्स में जादूगरी करते हुए इस तरह की बिक्री को बढ़ावा दे रहे है। लेकिन इस सब मे हैरत की बात यह है की पूरे घटनाक्रम में पुलिस और आबकारी विभाग ने चुप्पी क्यों साध रखी है। ऐसा नही की इस अवैध व्यापार की जानकारी इन दोनों विभागों को नही होगी। लेकिन कार्यवाही नही होना इन दोनों ही विभागों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।

अमित त्रिवेदी