इंदौर। कोरोना के चलते हमने हालही में देश के चहिते शायर राहत इंदौरी की खो दिया। लेकिन उनकी शायरी हमारे दिलों में बस्ती है, और राहत इंदौरी हमारे दिलों में अमर है। उन्होंने अपने जीवन काल में कई यादगार शायरियां, ग़जल दी है। चलिए एक बार फिर हम राहत इंदौरी को याद करें। उनके शब्दों की मालाओं को फिर एक बार धागे में पिरोये। दरअसल राहत इंदौरी के अल्फाजों को ताजा करने का एक प्रयास इंदौर के “धैवत द बैंड” ने किया।
जब राहत साहब से “धैवत द बैंड” गजल के सिलसिले में पहली बार मिले तब उन्होंने समय न होने के कारण बैंड के प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना मुश्किल बताया। हालांकि जब राहत साहब ने पृथ्वी राज सिंह सिसोदिया की बनाई हुई धुन सुनी और उनसे बातचीत की तो उन्होंने बेहद खुश होकर बैंड के इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए राजी हो गए।
धैवत की दिली आकांक्षा थी कि राहत साहब के रहते ये गाना रिलीज़ होता। हालांकि आज वो इस बात संतुष्ट भी है के वे उन लोगों में से है। जिन्होंने आख़री बार राहत साहब को रीकॉर्ड किया। साथ ही इस प्रोजेक्ट को लेकर धैवत अपने दिल से उनके प्रेरणा स्त्रोत, उनके गुरु गौतम काले को धन्यवाद देते हैं और फैज़ल राहत के भी शुक्रगुजार है। जिन्होंने ये प्रॉजेक्ट पूर्ण होने में उनकी मदद की।
आशा है कि धैवत द बैंड का यह प्रयास एक बार फिर हमें राहत साहब के जादुमायी शब्दों का फिर एहसास दिलायेगा। धैवत द बैंड के प्रमुख सदस्य है, पृथ्वीराज सिंह सिसोदिया, अर्पित भोसले,दीपेश सोलंकी और शुभम कानूनगो, और वीडियो प्रोडक्शन विस्सल मीडिया,आर्टिस्टिकली योर्स और स्पेड्स ऐस ने किया है। बता दे कि यह गीत 50 से भी ज्यादा प्लेटफॉर्स पर लॉन्च किया गया है और म्यूज़िक विडीओ धैवत बैंड के यूटूब चैनल पर देखा जा सकता है।
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