…देवेन्द्र बंसल…
रानी माँ अहिल्या बाई की नगरी इंदौर स्वच्छता में देश में सिरमौर है। इंदौर अब दुनिया के शहरों की अगुवाई करेगा यह प्रशंसनीय हैं ,हमारे लिए गर्व की बात है। लेकिन इंदौर शहर की स्वच्छता बनाए रखना भी शहर के नागरिकों की व प्रशासन की ज़िम्मेदारी है। हम देश में नम्बर वन हैं यह अच्छी बात है इसके लिए नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी नहीं भूलें। यह विजयी ताज की शिखरता हमें बनाए रखना हैं।
प्रशासन की भी ज़िम्मेदारी है कि वह किसी भी प्रकार ढिलाई स्वच्छता को लेकर ना दे। स्वच्छता सुंदरता के लिए पहले की तरह हमें जागरूक रहने की आवश्यकता है। अभी भी अनेको सड़के जर्जर हो गई है उन्हें ठीक किए जाने की आवश्यकता हैं। कई जगह गड्ढे भरने की भी आवश्यकता है ।साफ़ सफ़ाई का वही स्तर रखना होगा।उसमें कमी दिखाई देती है निगम को कर्मचारियों का उत्साहवर्धन करते रहना होगा।
बायपास की सर्विस रोड पर वाहन गड्डों में कूदते चलते है बिचोली मर्दाना तरफ़ सड़के ज़्यादा बेहाल हैं वह कब ठीक होंगी पता नहीं। यही नहीं हमारे इंदौर की शान गौरव राजवाड़ा का सौंदर्यीकरण का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है। जो शहर की पहचान हैं जिसे अतिशीघ्र पूर्ण किए जाने की आवश्यकता है ।कब तक हम सरियों पाईप का स्ट्रक्चर देखते रहेंगे।
यही नहीं शहर का पुरातन घंटाघर भी अपने हाल पे बेहाल हैं। बचपन से सुनते आ रहे है “ घंटाघर में चार घड़ी ,चारों में ज़ंजीर पड़ी ,जब जब घंटा बजता है ,खड़ा मुसाफ़िर हँसता है।”लेकिन अब यादें है ..बच्चों का शेर वाला बगीचा ,घड़ी वाला बगीचा ,कभी सुंदर हाल में कार्यक्रम होते थे ,तो कभी ऊपर स्थित लायब्रेरी ।सीमित साधनो में शहर में यह सुंदरता थी । वर्षों से इसे भी सजाने संवारने में लगे है लेकिन काम पूर्ण नही हो पाता है ।बस अब कब तक शहरवासियों को इंतज़ार करना होगा।