बीते तकरीब एक महीने से देश में मौसमी प्रकोप के चलते आई फ्लू,वायरल, वैक्टीरियल संक्रमण, एलर्जी और शरीर में जलन जैसी बीमारियां वैश्विक स्वास्थ्य की दृष्टि से चिंता का सबब बन गयी हैं। इनमें अस्थिर मौसम और बहुतेरी इंसानी गतिविधियों ने अहम भूमिका निबाही है। जहां तक आई फ्लू का सवाल है धूप का चश्मा लगा लेने से इसके संक्रमण को नहीं रोका जा सकता है लेकिन इससे बार बार आंख को छूने से बचा जा सकता है। यह आई फ्लू के फैलने का एक अहम कारण है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलती है। इससे आंखों में पानी आने लगता है, आंखें लाल होने लगती हैं, उनमें खुजली व चुभन होने लगती है और वह सूज जाती हैं। आजकल आई फ्लू के मामले जिस तेजी से बढे़ हैं वैसी स्थिति इससे पहले कभी नहीं देखी गयी। देश में तकरीबन आधा दर्जन राज्यों को इस बाबत दिशा निर्देश जारी किया जाना इसकी विकरालता का सबूत है। आज सारी दुनिया इसकी चपेट में है और यह भी हकीकत है कि पूरी दुनिया में इस बीमारी का कारोबार लगभग चार अरब डालर से भी ज्यादा है।
वहीं जानलेवा डेंगू के बढ़ते खतरे ने चिंता और बढा़ दी है। इसका अहम कारण बारिश के चलते जगह-जगह जलभराव और मच्छरों का पनपना है। दरअसल जबतक बारिश का दौर है, इस संक्रमण से छुटकारा मिलना असंभव है। भारतीय विज्ञान संस्थान के अनुसार हाल के वर्षों में देश में डेंगू बुखार के लिए जिम्मेदार वायरस का फैलाव बढा़ है। दरअसल हर साल सामने आने वाले डेंगू में अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। डेंगू के कारक एडिज एडिजिटियाई मच्छर आमतौर पर गर्म इलाकों में ज्यादा पाये जाते हैं। जलवायु परिवर्तन के चलते इस तरह के मच्छरों की तेजी से बढो़तरी चिंता का विषय है। देखा जाये तो डेंगू में सिरोटायप-2 वायरस का संक्रमण ज्यादा खतरनाक होता है। इसमें बुखार के साथ-साथ मस्तिष्काघात का जोखिम ज्यादा बना रहता है। अभी तक यह वायरस अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों तक में ही पाया जाता था लेकिन अब औसत तापमान में लगातार हो रही तेजी से बढो़तरी होने से इस मच्छर की उत्पत्ति और प्रसार में रिकार्ड बढो़तरी हो रही है और फैलाव तेजी से बढ़ रहा है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो आज डेंगू की चपेट में दुनिया के सौ से ज्यादा देश हैं। सबसे बडी़ बात यह कि यदि किसी को एक बार डेंगू हो गया है और अगले साल फिर वह डेंगू की चपेट में आ जाता है,उस दशा में यह और अधिक जोखिम भरा और जानलेवा हो सकता है।
गौरतलब है कि बारिश और बाढ़ से साफ-सफाई में कमी आ जाना स्वाभाविक है। ऐसे हालात में संक्रामक रोगों की आशंका बढ़ जाती है। इन स्थितियों में स्वच्छता की ओर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी होता है लेकिन अक्सर इसे नजरंदाज कर दिया जाता है। कोरोना काल ने साफ-सफाई व संक्रमण के बारे में हमें एक नसीहत भी दी है कि हमें हर समय साफ-सफाई के लिए न केवल हर समय तत्पर रहना चाहिए बल्कि हाथों को साफ रखने व संक्रमण से बचने की खातिर चेहरे और आंखों को छूने से बचना चाहिए। कोरोना ने चेतावनी दे दी है कि अभी संक्रमण का खतरा टला नहीं है। अभी कुछ सालों तक इसका खतरा बना रहेगा। इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है। बस यहीं हम चूक कर बैठते हैं जिसका खामियाजा हमें कभी-कभी जानलेवा साबित हो जाता है। उस हालत में जबकि हमारे देश में कंजंक्टिवाइटिस आम है।
वैज्ञानिक भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। फिर सिर व आंखों में तेज दर्द, आंख में असुविधा,मांस पेशियों में दर्द,पेट में बेचैनी,मतली व उल्टी डेंगू के संकेत हैं। इसलिए जरूरी है कि अपने आसपास या घरों में पानी जमा न होने दें। कारण यह अधिकतर जगह-जगह जलभराव से मच्छरों के पनपने से फैलता है। यह भी बारिश से ही जुडी़ बीमारी है जो सबसे बडे़ खतरे के रूप में हमारे सामने मुंह बाये खडी़ है।गमलों,कूलर और रखे हुए टायरों में पानी न भरने दें। अक्सर देखने में आया है कि घरों में फूलों व दूसरे पौधों के गमलों में पानी भरा रहता है। बोतलों में भी पानी भरकर उसमें मनीप्लांट जैसे पौधे लगा तो दिये जाते हैं लेकिन उनका पानी कई कई दिनों यहां तक कि हफ्तों बदला नहीं जाता जबकि इन बोतलों का पानी और कूलर का पानी हर तीसरे दिन बदल देना चाहिए। कूलर के पानी में कैरोसिन या पैट्रोल डालकर रखें । पानी समय पर न बदलने से डेंगू के लार्वा को पनपने में आसानी होती है। वह साफ पानी में तेजी से पनपता है। पानी की टंकियों को खुला न छोडे़ं और उनको अच्छी तरह ढककर रखें। इससे मच्छर पनपने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। क्योंकि मच्छर का लार्वा कूलर और गमले में 32 फीसदी, ड्रम में 11फीसदी,बाल्टी में 6 फीसदी, कैन मे 4 फीसदी, कंटेनर और पक्षियों के पानी पीने के लिए रखे गये बर्तन में 3 फीसदी व टायरों में 01 फीसदी रहने की संभावना होती है। इस लिए जरूरी है कूलर का पानी तीसरे दिन बदल दें। यदि यह सावधानियां बरत लेते हैं तो काफी हदतक मच्छरजनित बीमारियों से बचा जा सकता है। लेकिन दुखदायी स्थिति तो यह है कि लोग इसके बावजूद गंभीर नहीं दिखते।
डेंगू को अक्सर हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। भीषण सिर और आंखों में दर्द डेंगू के संक्रमण का एक सामान्य संकेत है। मांसपेशियों में और जोडो़ं में असहनीय तेज दर्द की वजह से ही इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। ऐसी स्थिति में पानी उबालकर पियें,स्ट्रीट फूड न खायें,घर के आसपास पानी का जमाव न होने दें,पूरे बदन के कपडे़ पहनें, खुले इलाकों या पेड़-पौधों से घिरे नमी वाले इलाकों में जाते समय अपने बदन को ढके रहें, गीला कपडा़ न पहनें, बरसात में भीग जाने पर घर आकर तुरंत नहायें, सोते समर मच्छरदानी का इस्तेमाल करें,बच्चों व बुजुर्गों को ठंडी हवा में न जाने दें,शरीर में पानी की कमी न होने दें, आराम करें और डिहाड्रेशन रोकने हेतु नींबू पानी व नारियल पानी पिलाते रहें। इसलिए इसे हल्के में न लें और यदि पेट में तेज दर्द है,उल्टियां बंद न हो रही हों, सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, दातों से ,होठों से यदि खून निकलने लगा हो तथा खाने-पीने व सांस लेने में कोई भी समस्या हो रही हो तो विलंब न करते हुए तुरंत समीप के अस्पताल में भर्ती करें। सबसे बडी़ बात ऐसे समय बीमारी की गंभीरता को समझने की जरूरत है। इस समय आपकी सावधानी और समयानुकूल लिया गया निर्णय ही जीवन की रक्षा करने में सहायक होगा।