इंदौर। शहर के मध्य भाग रीगल से राजबाड़ा होते हुए बड़ा गणपति तक मेट्रो चलाने को लेकर अभी भी असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है। इसी बीच मेट्रो रूट को लेकर एक ओर बड़ा पैच सामने आया है। मेट्रो कंपनी ने 31.50 किलोमीटर के लिए जो मेट्रो का रूट मेप तैयार किया है उस रूट मेप के मुताबिक रेलवे स्टेशन ओर मेट्रो की कनेक्टिविटी फिट नही बैठ रही है। क्योकि न तो रेलवे स्टेशन के नजदीक कोई मेट्रो स्टेशन आ रहा है और न ही मेट्रो रूट पर रेलवे स्टेशन आ रहा है।
अगर रीगल , गांधी हाल, या जेलरोड कही भी मेट्रो स्टेशन बनाया जाए तो भी तीनों रेलवे स्टेशन से यात्री को मेट्रो स्टेशन तक आने के लिए कम से कम 300 से 600 मीटर तक कि दूरी तय करना पड़ेगी। मेट्रो कंपनी को अपने सबसे महंगे प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए रेलवे स्टेशन को जोड़ना ही पड़ेगा। सबसे ज्यादा यात्री यही से निकलेंगे। इसी प्रकार शहर के मध्य भाग से मेट्रो रूट को लेकर मेट्रो कंपनी के अफसर उलझन में पड़ गए है। अभी इस विवाद का कोई तोड़ नही निकला है।
मेट्रो चलना अब हुआ जरूरी
अगले साल 2023 में विधासनसभा चुनाव में फिर से सरकार बनाने के लिए मेट्रो को मुख्य आधार बनाया है। फिलहाल पार्टी के पास वर्तमान में मेट्रो ही एकमात्र ऐसा मुद्दा है जो ताजा ओर जनता से जुड़ा हुआ है। आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार को मेट्रो प्रोजेक्ट पर काफी भरोसा है। सरकार चाहती है कि सितम्बर 2023 से पहले हर हाल में मेट्रो का कम से कम ट्रायल रन ही प्रारम्भ हो जाये ताकि शहर के लोगों को यह बता सके कि हमने मेट्रो चला दी है। अब यहाँ पर मेट्रो रूट का एक बड़ा पेच फंस गया है। रीगल से राजबाड़ा होते हुए बड़ा गणपति तक मेट्रो के विरोध स्वर गूंजने लगे है। शहर का कोई भी यह नही चाहता विशेष कर व्यापारी वर्ग की मेट्रो राजवाड़ा से होकर बड़ा गणपति तक चले। इसको लेकर सुमित्रा महाजन से लेकर अन्य जनप्रतिनिधि व्यापारियों के साथ खड़े हो गए है। अब आगे क्या होगा ? समय बताएगा।
दिल्ली रेलवे स्टेशनों और मेट्रो की कनेक्टिविटी
दिल्ली के ओल्ड रेलवे स्टेशन ओर न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन की मेट्रो से इतनी जोरदार कनेक्टिविटी है कि मेट्रो से सफर करने वाले यात्रियों को स्टेशन से बाहर जाने की आवश्यकता ही नही पड़ती है , क्योकि दोनो रेलवे स्टेशनो के परिसर के ही मेट्रो स्टेशन तक अंडर ग्राउंड ही आने जाने की बेहतरीन व्यवस्था है। इसके अलावा मेट्रो में कई स्टेशन ऐसे भी है जहाँ से बस स्टैंड भी वाकिंग डिस्टेन्स पर है। इसीलिए दिल्ली का मेट्रो सिस्टम सफल है। जब मैने दिल्ली के पंचशील मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो के एक अधिकारी से चर्चा की उन्होंने बताया की रेलवे के दोनों स्टेशनों से प्रतिदिन लाखों यात्री आता और जाता है, ओर अधिकांश यात्री मेट्रो में सफर करना पसंद करता है।
दिल्ली मेट्रो अधिकारी ने बताए ये तीन कारण
- एक तो ऑटो रिक्शा, बसों अन्य पब्लिक वाहनों से मेट्रो काफी सस्ती पड़ती है।
मेट्रो में सफर करने के लिए ट्रेन का ज्यादा इंतजार नही करना पड़ता है। - सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक लगातार मेट्रो की आवाजाही बनी रहती है। जबकि बसों के आने का लंबा इंतजार करना पड़ता है।ट्रेन से आने वाले अधिकांश यात्री मेट्रो को ही प्राथमिकता देते है।
- इसी कारण हमेशा मेट्रो यात्रियों से खचाखच भरी रहती है।
मेट्रो आई तो क्या होगा राजबाड़ा का
दीपावली का त्योहार आते ही राजबाड़ा ओर उसके आसपास के बाजारो में भीड़ पड़ना शुरू हो गई है। राजबाड़ा ऐसा क्षेत्र है जहाँ फेरी वाले व छोटे छोटे बच्चे भी इन पांच दिनों में दिपावली के सजावट वाले आइटम बेचकर थोड़ा बहुत कमा लेते है। अब अगर राजवाड़ा पर मेट्रो स्टेशन बना दिया गया तो छोटे व्यापारियो के व्यपार – व्यसाय का क्या होगा, ये भीड़ कहा जाएगी।
राजवाड़ा पर केवल दीपावली पर ही भीड़ ही नही पड़ती अन्य उत्साह के सारे त्योहार यही पर ही बनते है। ऐसी स्थिति में मेट्रो आ गई तो ये राजवाड़ा का उत्साह हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। हाल ही में पूरे शहर ने देखा जब राजबाड़ा पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सड़क निर्माण का काम चल रहा था तब राजबाड़ा की क्या स्थिति हो गई थी। इसीलिए मेट्रो का राजबाड़ा पर लाने कोई औचित्य ही नही है। अब मेट्रो कंपनी के अफसर बड़ी उलझन में आ गए है कि मेट्रो को राजवाड़ा तक कैसे ले जाए।