नई दिल्ली: दीपक साठे एक ऐसा नाम जो एयर इंडिया और भारतीय वायुसेना के बहादुर पायलटों के इतिहास में लिखा जाएगा। इतिहास में आपका नाम स्वर्णाक्षरों से लिखा जाएगा। भारत के आमजन और देशप्रेमी कल शाम आपके द्वारा दिये गए बलिदान को सदैव याद रखेंगे। हाँ कुछ लोग आपके बलिदान की वजह से 180 लोगों की प्राणरक्षा को अल्लाह की मेहरबानी मानेंगे। लेकिन दीपक साठे जो इस हवाई जहाज़ के कमांडर थे, पूरा श्रेय आपको ही जाएगा। दीपक साठे जो की एयर फोर्स के सर्वश्रेष्ठ पायलटों में से एक थे, रिटायरमेंट के बाद वह एयर इंडिया के बोइंग A-320 को उड़ा रहे थे।
वह NDA के टॉपर रहे थे और उन्हें ऑनर ऑफ स्वार्ड मिल चुका था। उनके पिता भी भारतीय सेना के ब्रिगेडियर रह चुके हैं, भारत के लिए अनेक युद्ध लड़ चुके हैं। दुबई से आने वाली इस अभागी फ़्लाइट की बदक़िस्मती थी कि कोझिकोड हवाई अड्डे पर लैंडिंग से पहले हवाई जहाज़ के लेंडिंग गेयर खराब हो गए और जब यह निश्चित हो गया कि लेंडिंग गेयर नहीं खुलेंगे, तब कमाण्डर दीपक साठे ने सर्वश्रेष्ठ कौशल औऱ अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए हवाई अड्डे के 50 किलोमीटर के दायरे में तीन चक्कर लगाते हुए हवाई जहाज़ की पेट्रोल टंकियों को खाली कर दिया। ताकि हवाई जहाज़ में लेंडिंग के वक्त आग न लगे।
लेंडिंग गेयर न खुलने की स्थिति में हवाई जहाज़ को अपने पेट के बल लेंडिंग कराने की मजबूरी थी। काम इसलिए भी बेहद मुश्किल था क्योंकि उस समय उस क्षेत्र में बारिश और तूफान का कहर बरपा हुआ था। हवाई जहाज़ को पेट के बल लैंड कराने से पहले कमांडर दीपक साठे ने हवाई जहाज़ का इंजिन बंद कर दिया था। बारिश की वजह से विज़िबिलिटी बहुत खराब थी। हवाई जहाज़ को हवाई पट्टी पर फिसलने की मजबूरी थी। खास बात यह कि हवाई पट्टी भी मरम्मत मांग रही थी। टेबिल टॉप एयरपोर्ट और छोटी हवाई पट्टी। सर्वश्रेष्ठ कौशल और हिम्मत का प्रयोग कर दीपक साठे ने हवाई पट्टी को छुआ।
उन्हें खुद भी मालूम था कि हवाई जहाज़ के टुकड़े होने वाले हैं। लेकिन यह उनका साहस और कौशल था कि हवाई जहाज़ का पायलट वाला हिस्सा और पूंछ का हिस्सा ही टूटा, जिससे जनहानि बहुत कम हुई। परंतु कमाण्डर दीपक साठे और को पायलट वीरगति को प्राप्त हुए।
असाधारण वीरता, कौशल और सर्वोच्च बलिदान के लिए 180 लोगों के प्राण बचाने के लिए दीपक साठे और को पायलट को भारत का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान मिले। उन्होंने मानवता की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया। यही एक सच्चे भारतीय की पहचान है।