कोरोना की वजह से छोटी आंत में हुआ जानलेवा गैंग्रीन, प्रत्यारोपण से मिली दूसरी ज़िन्दगी

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इन्दौर: जब अगस्त 2020 में महाराष्ट्र के नौ वर्षीय ओम ने पेट में गंभीर दर्द होने की शिकायत की, तो उसके माता-पिता को नहीं पता था कि वह अपनी पूरी छोटी आंत खो देगा। एक स्थानीय अस्पताल में की गई जांच में उसकी छोटी आंत में थ्रॉम्बोसिस और बड़े पैमाने पर गैंग्रीन मिली, यह एक ऐसी स्थिति थी जिसमें आंत तक रक्त आपूर्ति नहीं हो पाने की वजह से आंत खराब हो गई थी। खराब आंत से उपजे गैंग्रीन को आगे फैलने से रोकने और मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंतों की तुरंत सर्जरी की गई।

आंत को हटाने के बाद, रोगी को आगे के इलाज के लिए ठाणे के जूपिटर हॉस्पिटल में रेफर किया गया। एंटीबॉडी परीक्षण और आंत के आरटी-पीसीआर से हटाए गए अंग में कोविड संक्रमण का पता चला। इससे यह बात चली कि लड़के और उसके पिता का कोविड-19 टेस्ट एक महीने पहले हल्के लक्षणों के साथ पॉज़िटिव आया था।

जूपिटर हॉस्पिटल, पुणे में संक्रामक रोग के विशेषण, डॉ. राजीव सोमन ने कहा, “थ्रॉम्बोसिस और बोवल परफोरेशन कोविड-19 के गंभीर होने की वजह से पैदा होते हैं; हालांकि, बड़े पैमाने पर आंतों में गैंग्रीन होना बहुत दुर्लभ है। इटली में अब तक केवल एक ही मामला सामने आया है, जिसके घातक परिणाम सामने आए हैं। इस मामले में, आंतों के गैंग्रीन के अलावा, पेट के हिस्सों में कई माध्यमिक संक्रमण थे – जिससे यह और जटिल हो गया था।”

अपनी पूरी छोटे आंत को खोने पर, बच्चा कुछ भी खा नहीं पा रहा था और उसे कृत्रिम पोषण पर रखा गया था, जिसे पैरेंटल न्यूट्रिशन भी कहा जाता है। उनकी स्थिति भयावह थी क्योंकि शरीर ने काफी तरलता खो दी थी और इलेक्ट्रोलाइट का काफी नुकसान हुआ था और जूपिटर हॉस्पिटल ठाणे में मुख्य बाल रोग इंटेंसिविस्ट डॉ. परमानंद अंडंकर और बाल रोग गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. डिंपल जैन ने इसे संभाला था।

सर्जरी के बारे में बात करते हुए, जूपिटर हॉस्पिटल के मुख्य मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. गौरव चौबल ने कहा, “बच्चे को कैडवेरिक स्मॉल इंटेस्टाइनल ट्रांसप्लांट के लिए सूचीबद्ध किया गया था और 3 महीने तक प्रतीक्षा सूची में था। इस समय के दौरान, बच्चा खाने के लिए तरस रहा था और उसमें पैरेंटल न्यूट्रिशन से संबंधित जटिलताएं विकसित होना शुरू हो गई थी। प्रतीक्षा अवधि बच्चे के साथ-साथ परिवार के लिए भी बेहद कठिन थी।

कैडवेरिक अंग के दान की कोई उम्मीद न दिखने पर, परिवार के साथ एक जीवित दाता की छोटी आंतों के प्रत्यारोपण की संभावनाओं पर चर्चा की गई। जीवित दाता सुरक्षित रूप से अपनी आंत का 40ः तक दान कर सकते हैं क्योंकि शेष आंत अनुकूल कर सकती है, साथ ही सामान्य पाचन और अवशोषण कार्यों को पूरा कर सकती है। बच्चे के पिता ने स्वेच्छा से अपनी आंत का एक हिस्सा दान किया। 5 नवंबर को, डॉ. चौबल के नेतृत्व में सर्जनों की एक टीम ने सर्जरी की, जिसमें 200 सेमी आंत को सावधानीपूर्वक काटा गया और पिता से बच्चे को प्रत्यारोपित किया गया। डॉ. भाग्यश्री आरभी ने एनेस्थीसिया को संभाला, जिसके साथ 8 घंटे तक सर्जरी की गई।

डोनर पूरी तरह से ठीक हो गया है। बच्चा अच्छे से ठीक हो रहा है और सर्जरी के आंठवे दिन से मौखिक सेवन शुरू कर दिया है। जूपिटर हॉस्पिटल, पुणे में बाल रोग इंटेंसिविस्ट डॉ. श्रीनिवास तांबे और बाल रोग गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. विष्णु बिरादर ने सर्जरी के बाद इंटेंसिव केयर दी। अब तक, जूपिटर हॉस्पिटल ने तीन छोटे आंतों के प्रत्यारोपण किए हैं, पहला मार्च 2020 में किया गया था। यह पश्चिमी भारत का एकमात्र केंद्र है जहां छोटी आंतों के प्रत्यारोपण किए जाते हैं और जीवित दाता की छोटी आंतों के प्रत्यारोपण करने वाला भारत का पहला केंद्र है।

जूपिटर हॉस्पिटल के बारे में :

जूपिटर हॉस्पिटल एक मल्टी-स्पेशलिटी, तृतीयक देखभाल अस्पताल है, जिसने ‘पेशंट फर्स्ट’ विचारधारा पर अपनी नींव रखी है। जुपिटर हॉस्पिटल मुंबई, पुणे और इंदौर में मौजूद है। यह अस्पताल कार्डियोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, आर्थापेडिक्स, रुमेटोलॉजी, पैडियाट्रिक्स, मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट और कई अन्य विशिष्टताओं के क्षेत्र में व्यक्तिगत और एकीकृत उपचार की पेशकश करने वाली अपनी बेहद विशिषज्ञ और समन्वित चिकित्सा टीमों के साथ चिकित्सा की सभी शाखाओं में सेवाएं देता है।