शिव को दर्शन… भक्तों को डंडे और थप्पड़

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बाबा महाकाल के दरबार में वैसे तो राजा और रंक सब बराबर हैं, मगर यह सिर्फ कहने-सुनने की बात है… सावन के पहले सोमवार महाकाल मंदिर में इतनी भीड़ उमड़ी कि कोरोना प्रोटोकॉल धरा रह गया और 50 हजार से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन को पहुँच गए… व्यवस्थाएं इसलिए भी धराशायी हुई क्योंकि बाबा के दरबार में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मय परिवार पूजा के लिए मौजूद थे, जिसके चलते मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश रोका गया, वहीं दूसरी तरफ 66 ब्राह्मणों ने मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी साधना सिंह व दोनों पुत्रों को मंत्रोच्चार के साथ विधिवत लम्बी पूजा-अर्चना करवाई… इधर बाहर सुबह से ही कतार में खड़े भक्तों को पुलिस के डंडे और थप्पड़ खाना पड़े… यह भी उल्लेखनीय है कि महाकाल में पूर्व में भी भगदड़ के कारण कई मौत हो चुकी है और कल भी इस तरह की नौबत नजर आई… मगर वीवीआईपी का कोई इलाज इस देश में नहीं है, तो बाबा महाकाल भी कैसे बचते..?

पूर्व मुख्यमंत्री और साध्वी उमा भारती ने भी गर्भगृह में घुसकर पूजा कर ली… लाव-लश्कर यानी लम्बे काफिले के साथ बाबा के दरबार में आये शिव को तो दर्शन अच्छे से हो गए, लेकिन भक्तों के दिनभर फजीते हुए… अब ऐसे दर्शन से किसको कितना पुण्य मिलेगा, यह तो बाबा ही जाने… मगर प्रदेश के मुखिया को कम से कम इतनी तो समझ होना चाहिए कि ऐसे वक्त में दर्शन के लिए जाकर पुलिस-प्रशासन का टेंशन न बढ़ाये ..एक तरफ वे खुद रोजाना कोरोना पर ज्ञान बांटते नजर आते है और जनता से भीड़ न लगाने और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील करते है और दूसरी तरफ खुद सारी गाइडलाइनें की धज्जियां उड़ाते हैं ..वीवीआईपी कल्चर को समाप्त करने का दावा करने वाले ही सबसे ज्यादा उसका मजाक बनाते है।

राजेश ज्वेल