Cyber Bullying: भारत में डिजिटलाइजेशन के बढ़ते प्रभाव के साथ, सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणियों का मामला भी तेजी से बढ़ रहा है। अब लोग अक्सर किसी विषय पर चर्चा करते हुए आक्रामक हो जाते हैं, जिससे सामान्य चर्चा भी अभद्र भाषा में परिवर्तित हो जाती है। कभी-कभी यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि पुलिस और कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता पड़ती है।
IIT और BHU का योगदान
इस समस्या का समाधान निकालने के लिए आईआईटी और बीएचयू के छात्रों ने मिलकर एक नई तकनीक विकसित की है। यह तकनीक सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणियों को पहचानने में सहायक होगी।
अभद्र भाषा पर नियंत्रण
डॉ. रविंद्रनाथ चौधरी, जो IIT-BHU के कंप्यूटर साइंस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने बताया कि भारत डिजिटलाइजेशन के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। यहाँ बड़ी संख्या में लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, और कई बार वे हिंदी और अंग्रेजी के मिश्रण में बातें करते हैं।
शोध का परिणाम: 20.38% प्रासंगिकता स्कोर
शोध छात्र पारस तिवारी ने देवनागरी और रोमन मिश्रित टेक्स्ट का गहन विश्लेषण किया है। उन्होंने एक प्रभावी पद्धति विकसित की है जो अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणियों को पहचानने में सक्षम है। इस पद्धति का 20.38 प्रतिशत प्रासंगिकता स्कोर है, और यह मौजूदा डेटा सेट्स की तुलना में 8 गुना बड़ा है, जिससे अधिक टिप्पणियों को चिन्हित किया जा सकेगा।
साइबर बुलिंग को रोकने में सहायता
डॉ. चौधरी ने बताया कि यह तकनीक अभद्र टिप्पणियों की पहचान करने के साथ-साथ उन्हें कम करने में मदद कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप, सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को एक सुरक्षित माहौल उपलब्ध हो सकेगा।
मशीन लर्निंग का उपयोग
इस तकनीक में मशीन लर्निंग और एडवांस प्री-ट्रेंड बड़े भाषा मॉडलों का उपयोग किया गया है। यह तकनीक न केवल अभद्र टिप्पणियों की पहचान करती है, बल्कि उन्हें हटाने में भी सहायक है।
डिजिटल समुदाय को लाभ
यह तकनीक भारत के विविध डिजिटल समुदाय को साइबर बुलिंग से निपटने में मदद कर सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।