अफसरों की हवेलियों पर मंडराया संकट

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अफसरों की हवेलियों पर संकट
मप्र के कई आला अफसरों की बड़ी-बड़ी हवेलियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कुछ मौजूदा और कुछ रिटायर अफसरों ने अपने रसूख का उपयोग कर भोपाल के बरखेड़ा खुर्द गांव में फार्म हाउस के नाम पर बड़े-बड़े प्लाट खरीद लिए और शानदार हवेलियां तान दीं। इन अफसरों को 10 हजार वर्ग फीट के प्लाट पर 650 वर्गफीट बनाने की अनुमति थी। लेकिन अफसरों ने 6 हजार वर्गफीट से ज्यादा का निर्माण कर लिया है। मजेदार बात यह है कि इस अवैध निर्माण को वैध करने के लिए अफसरों ने भोपाल के प्रस्तावित मास्टर प्लान में संशोधन भी कर लिया था। लेकिन मास्टर प्लान अटक गया है। ऐसे में इन अफसरों की हवेलियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। खबर है कि मंत्रालय के कई अधिकारी इन बंगलों को तोड़ने के पक्ष में हैं। इस संबंध में कई जांचें हो चुकी हैं और अवैध निर्माण भी सिद्ध हो गया है। लेकिन इन अवैध हवेलियों के दरवाजे नगर निगम का बुलडोजर कब पहुंचेगा इसका इंतजार सभी को है!

मुख्यमंत्री और गृहमंत्री की सुबह
क्या आप जानते हैं कि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुबह की चाय प्रदेश के खुफिया विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और जनसंपर्क विभाग के आयुक्त या संचालक के साथ चाय पीकर करते हैं। यह अफसर प्रतिदिन सुबह मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर उन्हें मप्र के हालातों से अवगत कराते हैं। इसे मुख्यमंत्री ब्रीफिंग के नाम से जाना जाता है। इस ब्रीफिंग के आधार पर ही मुख्यमंत्री पूरे दिन के भाषण और बयान तैयार करते हैं। मुख्यमंत्री की स्टाईल में ही आजकल गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी अपनी सुबह की शुरुआत चार-पांच पत्रकारों के साथ करने लगे हैं। गृहमंत्री सुबह टहलकर लौटते हैं तब तक चार से पांच पत्रकार मित्र उनके बंगले पहुंच जाते हैं। गृहमंत्री इनके साथ कॉफी पीते हैं और इस दौरान पूरे प्रदेश के हालातों की जानकारी भी लेते हैं। यानि गृहमंत्री ने पत्रकार मित्रों के जरिए अपना समान्तर खुफिया तंत्र विकसित कर लिया है।

मप्र का नंबर वन एंकर
मप्र में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफार्म के जरिए ताजा घटनाक्रम का विश्लेषण करने वाले कई एंकर अपनी पहचान बना चुके हैं, लेकिन आजकल भोपाल के अब्बास हफीज को देश और दुनिया में सबसे ज्यादा सुना और पसंद किया जा रहा है। पुणे से पढ़ाई करने वाले अब्बास हफीस की भोपाल में पहली पहचान कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में हुई। सरल और सहज अंदाज में अपनी बात रखने वाले अब्बास आजकल एक डिजीटल प्लेटफार्म “द लाईव इंडिया” के साथ जुड़ गए हैं। द लाईव इंडिया के यूट्यूब पर 59 लाख सस्क्राइबर हैं। अब्बास हफीज के अधिकांश कार्यक्रम और विश्लेषण मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ होते हैं। लेकिन इन्हें सुनने और देखने वालों की संख्या लाखों में पहुंच गई है। दावा किया जा सकता है कि अब्बास हफीज डिजीटल प्लेटफार्म पर मप्र के नंबर वन एंकर बन चुके हैं।

विंध्य-महाकौशल से बगावती स्वर
मप्र भाजपा के लिए बेशक यह है चिंता की बात न हो लेकिन हैरानी की जरूर है कि विंध्य और महाकौशल क्षेत्र से उसकी पार्टी के विधायक ही बगावती तेवर दिखा रहे हैं। इन विधायकों का मानना है कि मप्र की शिवराज सरकार विंध्य और महाकौशल के साथ अन्याय कर रही है। जबलपुर के विधायक अजय विश्नोई सत्ता और संगठन पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। उन्होंने ताजा हमला जिलों के प्रभारी मंत्रियों को लेकर किया। उनका कहना था कि जबलपुर और रीवा का प्रभार मुख्यमंत्री को लेना चाहिए। विश्नोई इसके पहले अपनी ही पार्टी की सांसद मेनका गांधी को निहायत ही घटिया महिला बता चुके हैं। अब सतना के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने महंगी बिजली और महंगे पेट्रोल-डीजल को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने धमकी दी है कि बिजली की व्यवस्था नहीं सुधरी तो पूरे विंध्य से बिजली का बिल नहीं भरा जाएगा।

पृथ्वी के लिए लक्ष्मी जरूरी !
मप्र के निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं। टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी ने इस सीट के लिए अपनी पत्नी लक्ष्मी गिरी की जबर्दस्त दावेदारी ठोक दी है। लक्ष्मी गिरी पहले टीकमगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष रह चुकी हैं। राकेश गिरी टीकमगढ़ से लेकर भोपाल तक संगठन के पदाधिकारियों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि लक्ष्मी गिरी ही ऐसी उम्मीदवार हैं जो पृथ्वीपुर का किला फतह कर सकती हैं। उन्होंने संगठन से इस संबंध में निष्पक्ष सर्वे कराने का आग्रह भी किया है। दरअसल स्वयं राकेश गिरी टीकमगढ़ से विधायक हैं इसलिए उनकी पत्नी को टिकिट मिलेगा या नहीं इस पर संशय है। यह भी तय है कि यदि राकेश गिरी अपनी पत्नी के लिए टिकट चाहते हैं तो उन्हें स्थानीय सांसद और भाजपा नेताओं के साथ बेहतर समन्वय बनाना होगा।

पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिमा की फजीहत
राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने कभी सपने में भी कल्पना नहीं की होगी कि उनके निधन के बाद उनकी छह फीट की मूर्ति लगाने को लेकर राजधानी भोपाल में ऐसी फजीहत होगी। पिछले दो साल से उनकी मूर्ति नानके पेट्रोल पम्प चौराहे पर ढकी खड़ी है। नगर निगम न तो इसका लोकार्पण कर पा रहा है और न ही इसे किसी अन्य स्थान पर लगा पा रहा है। दरअसल जिस स्थान पर अर्जुनसिंह की मूर्ति खड़ी की गई है वहां पहले चंद्रशेखर आजाद की मूर्ति थीं। भाजपा यहां अर्जुनसिंह की मूर्ति लगाने का विरोध कर रही है। मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। राज्य सरकार और नगर निगम की लापरवाही के कारण यह मामला लंबा खीच रहा है। कांग्रेस के कई कार्यकर्ता इससे दुखी हैं और चाहते हैं कि अर्जुनसिंह की मूर्ति को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर स्थापित कराया जाए।

और अंत में……
भोपाल के काटजू अस्पताल के उद्घाटन के साथ ही गूगल पर लोग केयर इंडिया नाम की संस्था के बारे में जानकारी जुटाने में लग गए हैं। दरअसल इस सरकारी अस्पताल के उद्घाटन से पहले सरकार ने अचानक घोषणा की कि लगभग 30 करोड़ की लागत से बने इस सरकारी अस्पताल का संचालन केयर इंडिया नामक एनजीओ नि:शुल्क करेगा। सरकार का यह दावा लोगों के गले नहीं उतर रहा है कि केयर इंडिया पूरी तरह इस अस्पताल का फ्री संचालन कर सकेगा। लोग केयर इंडिया के बारे में पड़ताल करने लगे हैं। गूगल पर ही एक खबर है कि बिहार में केयर इंडिया ने आंगनबाड़ियों का संचालन किया था तो वहां के कर्मचारियों को वेतन मिलना मुश्किल हो गया था। देखना है कि क्या वास्तव में केयर इंडिया काटजू अस्पताल का संचालन अपने आर्थिक संसाधन से कर सकेगा?