रचनाकारों को चाहिए कि वह अपनी कविता, गीत, कहानी, लेखों के माध्यम से समरसता विमर्श की स्थापना साहित्य में करें – डॉ.विकास दवे

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इंदौर : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त साहित्यिक संस्था उड़ान के द्वारा अखिल भारतीय काव्य उत्सव का आयोजन इंदौर में शनिवार को हुआ। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से कवि और गीतकार शामिल हुए । सुबह से लेकर देर शाम तक चले काव्य उत्सव में उत्कृष्ट स्तर के गीत और गजलें प्रस्तुत की गईं। विशिष्ट योगदान के लिए रचनाकारों को वाणी पुत्र/वाणी पुत्री सम्मान से सम्मानित किया गया।

एक निजी होटल में आयोजित इस आयोजन के मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के निदेशक विकास दवे थे। डाॅ. दवे ने काव्य और छंद विधान की गुरुकुल परंपरा को प्रणाम करते हुए संस्था उड़ान की तारीफ की और कहा कि यह गुरुकुल परंपरा और छंद विधान इस राष्ट्र की साहित्य परम्परा को दीर्घजीवी बनाने वाला है। विशिष्ट अतिथि के रूप में अलका मिश्रा (कानपुर), सीमा अग्रवाल (मुंबई),रंजीता सहाय”अशेष”(जबलपुर) मौजूद रहे। अध्यक्षता उड़ान प्रमुख सरोज सिंह “सूरज” ने की। संचालन उड़ान प्रशासक मनोज शुक्ल”मनुज”ने किया। स्वागत भाषण मुकेश तिवारी ने दिया।

इस अवसर पर उड़ान के साझा संग्रह “अंतर्नाद” का विमोचन किया गया। सारिका विजयवर्गीय के गीत संग्रह मधुरालय का भी विमोचन इस अवसर पर हुआ।

किरण सिंह शिल्पी….ने गजल पढ़ी…

तुम्हारे शहर में इक रात ही बिताना है,
बुलाओ तुम जो अगर फिर से हमको आना है।

राजवीर जी ने पढ़ा…

कसौटी पर समय की सब भरोसे टूट जाते हैं।
बड़ी ही सादगी से लोग दिल को लूट जाते हैं।।
यही दस्तूर दुनिया का मियां सदियों पुराना है-
नए जब दोस्त मिलते हैं पुराने छूट जाते हैं।

सीमा अग्रवाल जी कहती है…

गुनगुनाया नाम तेरा
और देखो
हो गया है मन वसंती

थक -थका कर दिन गिरा था
सिलवटों पर रात की
साथ में थीं बात कितनी
बात की बिन बात की

नीलम तोलानी ने नारी पर पंच चामर पढ़ते हुए कहा…

अनन्य प्रीत चाहती,अतुल्य रूप धारिका,
पुनीत ग्रंथि रीत की,निभा रहीं सुसाधिका।
डरूँ नही थकूँ नही,चुनोतियाँ सदा मिली,
दिलेर नार आज की,विपत्ति में लड़ी खिली ।

एस के महाजन जी ने पढ़ा…

ग़ज़ल
~

ज़िंदगी आसां नहीं है, हर क़दम पे इम्तिहाॅं है,
शुक्रिया कहते रहो बस, वक़्त जब तक मेहरबां है।

एक जैसी है ज़रूरत, ख़्वाहिशें हैं एक जैसी,
आदमी हो या परिंदा चाहता इक आशियाॅं हैं।

 

अतिथि स्वागत आयोजन की मुख्य संयोजक नीलम हरीश तोलानी, संगीता केसवानी, चंचला सोनी, सुषमा शर्मा,विभा भटोरे, हरीश तोलानी आदि ने किया। आभार नीलम तोलानी ने माना।

इन रचनाकारों ने किया रचना पाठ
एस के महाजन, उपमा आर्य,नीरजा नीरू, अशोक गुप्ता, कामिनी श्रीवास्तव,राजीव श्रीवास्तव,शैल दुबे ( सभी लखनऊ) सुभाष सिंह (कटनी)शकुन अग्रवाल ( राउरकेला,उड़ीसा) प्रीति शर्मा (रीवा) विनोद बोरकर (वसई) निर्मला सिंह (सतना) इंदु अग्रवाल (देहरादून) अनामिका भदानी (गया) सारिका विजयवर्गीय(नागपुर) सतीश डबरवाल (देहरादून) रिग्वेद शाक्य(महू) शुभेंद्र जायसवाल (मिर्जापुर) डॉ ज्योति सिंह (चंडीगढ़) असीम आमगावी(मुंबई) वंदना तिवारी (गाजियाबाद) मनोरमा श्रीवास्तव (उत्तर प्रदेश) सीमा धवन (गाजियाबाद), दीनबंधु सरल (लखनऊ), संदीप विश्नोई(पंजाब) इंदु पाराशर (इंदौर), प्रेमलता बड़ोले(मंडलेश्वर), आरती डोंगरे, राजवीर सिंह तरंग(बदायूं), किरण सिंह शिल्पी (शहडोल) अलका अग्रवाल जी, रचना निर्मल (दिल्ली), निरुपमा श्रीवास्तव (अयोध्या), सुधा शर्मा तारे (खंडवा) दीपक शर्मा (दिल्ली), नीलम तोलानी ,संगीता केसवानी, सुषमा शर्मा”श्रुति”, विभा भटोरे जी (सभी इंदौर)।

ये रहे मौजूद
हिन्दी परिवार के अध्यक्ष हरेराम वाजपेयी, सचिव संतोष मोहंती, वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष इंदु पाराशर, विचार प्रवाह साहित्य मंच के अध्यक्ष मुकेश तिवारी, इंदौर लेखिका संघ की सचिव मणिमाला शर्मा, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के प्रमुख प्रभु चौधरी, मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. अर्पण जैन सहित साहित्य जगत के अनेक लोग मौजूद थे।