बुरहानपुर: सुमित्रा कास्डेकर ने चुनाव के दौरान अपनी शैक्षणिक योग्यता और जन्म तारीख को लेकर झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत किया। सुमित्रा का यह पहला मामला नहीं हैं जब उन्होंने झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत किया। इसके पहले भी राजीव गांधी ग्रामीण एलपीजी वितरण एजेंसी के लिए वर्ष 2011 में भी झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया था। प्रस्तुत शपथ पत्र में एक जगह जन्म तिथि 15 अगस्त 1983 तो वहीं दूसरी जगह 4 मई 1985 बताई गई। इतना ही नहीं सुमित्रा कास्डेकर ने अपनी शैक्षणिक योग्यता 10वीं कक्षा तक ही बताई थी, जबकि चुनाव के चलते शैक्षणिक योग्यता आठवी कक्षा बताई गई।
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लेकिन सबसे खास बात यह है कि विधायक सुमित्रा कास्डेकर की जन्म तिथि और शैक्षणिक योग्यता का मुद्दा भाजपा ने ही उठाया था लेकिन भाजपा ने यह मुद्दा तब उठाया था जब वह कांग्रेस की विधायक थी। इस दौरान पूर्व विधायक मंजू दादू ने भी जरूरी दस्तावेज जुटाए थे। जब सुमित्रा कास्डेकर की शेक्षणिक योग्यता पर बीजेपी ने सवाल खड़े किए जिसके बाद सुमित्रा ने कांग्रेस के साथ विधायक पद भी छोड़ दिया था और बाद में भाजपा का हाथ थाम लिया। लेकिन यह मामला फिर सामने नहीं आया लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता बालचंद्र शिंदे ने न्यायालय पहुंचकर विधायक पर कार्यवाही की अब मांग की है।
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प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट गुरुवेंद्र कुमार हुरमांडे ने आदेश जारी किए। अदालत ने 20 मई को यह फैसला सुनाया था, लेकिन आदेश की प्रति 2 जून को उपलब्ध हो हुई है। जिसके बाद कोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश होने के कारण इस मामले में ओर ज्यादा देरी हो गई। हालाकि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस द्वारा इस प्रकरण में कार्रवाई करना ठिक हैं। जिसके बाद कोर्ट ने आदेश पारित कर खकनार थाना प्रभारी को एफ आई आर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।