दिनांक 7-8 अगस्त 2021 को विषयान्तर्गत भारतीय किसान संघ की प्रबंध समिति बैठक वा साधना केन्द्र ग्राम झिझौली (दिल्ली-हरियाणा सीमा) में सम्पन्न हुई। जिसमे कई सदस्य शामिल हुए। बता दें इस दौरान देशभर के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य 36 प्राती के अध्यक्ष, महामंत्री संगठन मंत्री एवं कोषाध्यक्षों ने भाग लिया। वही कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा गया और दो दिवस के गहन मंथन के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए घोषणा की गई कि किसानों को उनकी उपज का मूल्य नहीं मिलने के कारण गरीब किसान और गरीब एवं कर्जदार होता जा रहा है, उसके बच्चों का भविष्य अंधकार में और स्वयं का जीवन नरकमय बन चुका है।
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वहीं पदयदि सरकार अपने ढंग से कई प्रकार की मदद करने के प्रयास करती है, परंतु क्षणिक सात्वना से किसान की दशा को सुधारना असंभव है। साथ ही इस बात को भी बताया गया कि परेशान किसान मात्र इतनी मांग कर रहा है कि उसे उसकी सागत एवं उस पर जो भी लाभ स्वरूप देना चाहे देना शुरू करिए, वरना बेरोजगारी के इस माहौल में अब नहीं परिवार के साथ आत्महत्या को अग्रसर होने लगा है।
आपको बता दें आने वाले समय में ऐसी घटनाएं है इनका अनुमान सरकारी मुलाजिम और राजनेता नहीं लगा सकते। सरकार कुछ समर्थन मूल्य घोषित कर अपने दायित्व से नहीं सकती, सब जान चुके हैं कि यह समर्थन मूल्य मात्र छलावा है। गरीब किसान को बाजार के भरोसे छोड़ना ही नहीं बल्कि उसकी उपज के मूल्यों पर सरकार द्वारा नियंत्रण रखना जानबूझकर उसका मनुष्य जीवन बर्बाद करने जैसा पाप कर्म नहीं तो और क्या है। समर्थन मूल्य की मार घोषणा का भी क्या अर्थ रह जाता है, जब उस मूल्य पर बिक नहीं सकता है।
किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देना होगा। 2 एक बार पाचित मूल्य के बाद उसके आदानों में होने वाली महगाई का भुगतान के समय समायोजन कर महंगाई के अनुपात में वास्तविक मूल्य चुकाना होगा। घोषित मूल्य पर विज्ञान की उपज का भी हो रहे मण्डी में बाहर और चाहे सरकार खरीदें लेकिन घोषित मूल्य से कम पर को अपमानना होगा।
बता दें यह भी समझना मुश्किल नहीं है कि ये सबकेवल और केवल तब ही संभव है जब इस बात कठोर कानून बनेगा। इसलिए सरकार लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य का कानून लेकर आये. अन्यथा भारतीय किसान संघ प्राईवेट के माध्यम से संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया आरम्भ करेगा। भारत का अपने राष्ट्रीय दायित्व को भी भली-भांति समझता है इसलिए इस ज्ञापन के माध्यम से सरकार को आगाह किया जाता कि आगामी 31 अगस्त 2021 तक केन्द्र सरकार इस बात का ककरें घोषणा करे अन्यथा सितम्बर 2021 को देशभर के जिला केन्द्रों पर एक दिवसीय धरने के साथ भारतीय किसान संघ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा करेगा जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
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