नई दिल्ली। कोरोना वायरस से दुनियाभर में तबाही के मंजर साफ हैं। ऐसे में अब तक कोरोना वैक्सीन का ना बन पाना खतरे को और भी बढ़ाने जैसा हो गया है। हालांकि दुनियाभर से कई देश वैक्सीन बनाने की कोशिश में जुटे हुए है।
इस रेस में भारत भी शामिल है। हालांकि वैक्सीन के ना आने तक वैज्ञानिकों ने इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कई और चीजें बताई हैं। इसमें एंटीजन, एंटीबॉडी और दूसरे टी सेल्स की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश के हर चार में से एक शख्स के अंदर कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी है। इस बात की जानकारी नेशनल-लेवल प्राइवेट लैबोरेटरी के कोविड-19 टेस्ट्स के आधार पर दी है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के पुणे के कुछ इलाकों में भी 50 फीसदी से ज्यादा सीरो-पॉजिटिविटी होने की बात सामने आई। मुंबई के स्लमों में भी 57 फीसदी पॉजिटिविटी देखने को मिली। तो वहीं दिल्ली का पहला सीरो सर्वे बताता है कि टेस्ट हुए लोगों में से 23 फीसदी सीरो-पॉजिटिव थे। कोरोना मरीजों में इन एंटीबाॅडी से इसके दोबारा संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।