कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने राजनेताओं की बढ़ाई दिल की धड़कनें

Mohit
Published on:
Corona Virus

अरुण पटेल

जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना हैं वहां राजनीतिक दलों की गतिविधियां अब तेज होने लगी हैं, लेकिन कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने राजनेताओं और संभावित उम्मीदवारों के दिल की धड़कनों को बढ़ा दिया है कि यदि ऐसे ही हालात रहे तो वे चुनाव प्रचार कैसे कर पायेंगे और चुनाव होंगे या नहीं। भाजपा ने वर्चुअल रैलियों के माध्यम से ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं उपचुनाव वाले क्षेत्रों में लेना आरम्भ कर दिया है जबकि कांग्रेस वर्चुअल की जगह एक्चुअल रैलियों को अधिक प्रभावी मानते हुए उस पर अमल करने की रणनीति बना रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बदनावर में एक सभा कर प्रचार अभियान की शुरुआत कर दी है तो भाजपा एक दिन में दो से तीन विधानसभा क्षेत्रों में वर्चुअल रैलियां कर रही है जिन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सम्बोधित कर रहे हैं। वैसे उपचुनावों को लेकर लॉकडाउन में भी राजनीतिक दलों ने छोटे मोटे आयोजन करने से परहेज नहीं किया, लेकिन अनलॉक होते हुए उपचुनाव वाले जिलों में सभाएं करने की तैयारी कर ली थी। कुछ जिलों मे कोरोना का संकट तेजी से फैल रहा है जिसकी वजह से अब दलों को लग रहा है कि उनकी तैयारियों पर कहीं पानी ना फिर जाए।

ग्वालियर-चम्बल संभाग में सर्वाधिक 16 उपचुनाव होने हैं। मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना और अशोकनगर जिले में एक सप्ताह के भीतर कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा है जिसके चलते जिला कलेक्टरों को अपने-अपने जिलों में लॉकडाउन घोषित करना पड़ा है। राज्य स्वास्थ्य संचालनालय के अनुसार मुरैना जिले में कोरोना पाजटिवों की संख्या 682, ग्वालियर 583, भिण्ड में 296, शिवपुरी में 73, अशोकनगर में 52, दतिया में 47 और गुना में 25 संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। इसमें खास बात यह है कि शिवपुरी में एक ही दिन में 21 संक्रमित, मुरैना में 28, ग्वालियर में 55 और भिण्ड जिले में 9 मरीज मिले हैं, इसके कारण ही संबंधित जिलों में टोटल लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। मुरैना जिले की सभी सीमायें सील कर दी गयी हैं और पड़ोसी राज्य से आने वालों की स्क्रीनिंग की जा रही है।

ग्वालियर जिले में भी लॉकडाउन घोषित किया गया है। केन्द्र सरकार ने कंटेंटमेंट  एरिया को छोड़कर देश भर में अनलॉक घोषित कर दिया है और इसने उपचुनाव वाले क्षेत्रों में राजनीतिक दलों को अपनी गतिविधियां बढ़ाने का अवसर दे दिया। दलों ने नेताओं दौरे और सभाओं के कार्यक्रम भी बना लिए हैंं। लेकिन ताजा हालातों में अब वीडियो कांफे्रंसिंग के माध्यम से ही सभाएं की जा रही हैं। इस मामले में भाजपा सबसे आगे रहेगी क्योंकि अन्य दल अभी इस स्थिति में अपने आपको नहीं पा रहे हैं कि वे बड़े पैमाने पर वर्चुअल रैली कर सकें।

कांग्रेस के सामने भी अब यह समस्या है कि या तो वह वर्चुअल रैलियां करे या फिर कोई अन्य तरीका मतदाताओं से संपर्क के लिए ईजाद करे, जब तक कि इन जिलों में लॉकडाउन है। उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में ही असली चुनावी मुकाबला होना है क्योंकि ये दोनों दल ही सत्ता के असली दावेदार हैं। कांग्रेस की सरकार गयी है उसे अपनी सरकार बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना है तो वहीं दलबदल के बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गयी है, उसे अपनी सरकार बचाये रखने के लिए उपचुनावों में लगभग एक दर्जन सीटों की दरकार है। हालांकि उसकी कोशिश यही है कि जहां तक संभव हो अधिकतम सीटें जीती जायें ताकि राजनीतिक अस्थिरता और जोड़तोड़ की राजनीति से निजात पाई जा सके। दोनों ही दलों का असल फोकस इन्हीं 16 क्षेत्रों में है और जीत हार की असली पटकथा यहीं लिखी जाना है।

ग्वालियर-चम्बल संभाग में भाजपा का पहले से ही एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा और जनाधार रहा है और 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजे जरुरत अपवाद रहे हैं। अब उस चुनाव में कांग्रेस के चेहरा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया और यहां से जीते 15 विधायक उनके साथ भाजपा में शामिल हो गये हैं। इससे भाजपा की ताकत में और भी इजाफा हो गया है, लेकिन इसके साथ ही भितरघात का खतरा काफी बढ़ गया है। कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा यहां लगभग चरमरा गया है क्योंकि उसमें नेता की इच्छानुसार पद बंटते हैं और उनमें से जिनको सिंधिया की कृपा से पद मिले थे उनमें से बहुत से भाजपा में चले गये और यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना है इसलिए कांग्रेस यहां पहले अपनी संगठनात्मक जमावट बूथ से लेकर जिला स्तर तक कर रही है। उसने इन उपचुनावों में अपनी रणनीति कुछ बदली है और अब तीन कंट्रोल रुम यानी प्रमुख केन्द्र बनाये हैं ये हैं ग्वालियर, इंदौर और भोपाल।

ग्वालियर-चम्बल संभाग में 15 स्थान तो दलबदल के कारण रिक्त हुए हैं और एक स्थान कांग्रेस विधायक के निधन के कारण पहले से ही खाली था। मुरैना जिले में 5 विधानसभा क्षेत्रों जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी और अम्बाह और भिण्ड जिले में दो विधानसभा क्षेत्रों मेहगांव और गोहद तथा ग्वालियर जिले में तीन विधानसभा क्षेत्रों डबरा, ग्वालियर और ग्वालियर-पूर्व में चुनाव होना हैं। इसी तरह दतिया में भांडेर, शिवपुरी में करेरा और पोहरी, गुना जिले में बम्होरी, अशोकनगर जिले में अशोकनगर और मुंगावली क्षेत्रों में उपचुनाव होना हैं। उल्लेखनीय है कि इन्हीं जिलों में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, यहां जिला प्रशासन ने लॉकडाउन कर गाइडलाइन जारी कर दी है जिसके कारण राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक रहेगी, लेकिन देखने वाली बात यही होगी कि इसका उनकी गतिविधियों पर कितना असर पड़ता है। उपचुनावों के संदर्भ में कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता का कहना है कि आज मध्यप्रदेश की जनता का यह सवाल है ही नहीं कि कौन किसके साथ है सवाल यह है कि मतदाता का अधिकार क्यों छीना गया। ये उपचुनाव पूरे प्रदेश को प्रभावित कर रहे हैं, भले ही किसी पूर्व विधायक ने ग्वालियर में सौदा किया हो, मगर सरकार तो बंडा, दमोह और देवरी की जनता की भी गिर गयी, उनकी क्या गलती थी, यह चुनावी लड़ाई जनता और गद्दारों की है इसमें जनता जीतेगी, ना सौदा जीतेगा और ना ही समीकरण।