मोहर्रम पर्व पर कोरोना का कहर, नहीं निकलेंगे ताजिए, झांकियां और जुलूस

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मुहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना है। हिजरी वर्ष का आरंभ इसी महीने से होता है। इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। राजधानी में शुक्रवार यानि आज मोहर्रम मनाया जाएगा। हजरत इमाम हुसैन की शहादत के इस पर्व पर हुसैन की शहादत के बारे में मुस्लिम धर्मगुरु बताएंगे। उनकी शहादत की किस्से सुनाएंगे। कुरान पाठ करेंगे। उनकी याद में ताजिये बनाए गए हैं, जिनका आज विसर्जन होगा।

वहीं इस महामारी के चलते मोहर्रम पर ताजिया, झांकियां व जुलूस पर रोक रहेगी। लोग घरों में ही ताजिया रखकर त्योहार मनाएंगे। लोगों से अपील की गई है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें। जिला प्रशासन ने मुस्लिम समाज के प्रमुख लोगों से अनुरोध किया है कि वे लोगों को प्रोटोकॉल का पालन करते हुए त्योहार मनाने के लिए प्रेरित करें।

मोहर्रम की पूर्वसंध्या पर शहर में कोरोना के कारण मातमी जुलूस और अखाड़ों व सवारियों की आवाजाही शहर में नहीं दिखी। गाइडलाइन का पालन करते हुए मातमी मजलिसें और कत्ल की रात होने वाला खदंक का मातम जरूर हुआ। ईरानी डेरा के इमामबाड़ा के जिम्मेदार गुलाम हैदर ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी मातमी मजलिस आयोजित की गई। शहर के अन्य इमामबाड़ों मातम किया।