निजी हॉस्पिटल हमेशा ही लूटपट्टी के अड्डे रहे हैं, लेकिन अभी कोरोना काल में भी ये बाज नहीं आए… इंदौर के मेडिकल फिल्ड में सालों से कट प्रैक्टिस मशहूर रही है, जिसमें निजी हॉस्पिटल-डॉक्टर, पैथोलॉजी लैब से लेकर दवा कम्पनियों का कॉकस रहा, जो मरीजों की बड़ी सफाई से जेब काटता रहा है… जो इस कॉकस में शामिल नहीं होते, वे हॉस्पिटल- डॉक्टर फ्लॉप कहलाते.. अभी भंवरकुआ स्थित एपल हॉस्पिटल का फर्जीवाड़ा कलेक्टर द्वारा डलवाए छापे से उजागर हुआ, जहां 22 दिन तक भर्ती रखे गए एक मरीज को 6 लाख का भारी-भरकम बिल थमा दिया…
जांच के जो तथ्य सामने आए उसमें पीपीई किट, आइसोलेशन चार्ज और युनिवर्सल प्रोटेक्शन के नाम पर रोजाना 9 हजार तो लिए ही, वहीं अलग-अलग डॉक्टरों की विजिट करवाकर एक लाख रुपए उसके वसूल कर लिए… एसिम्टोमैटिक मरीज होने के बावजूद 4 बार कोविड टेस्ट निजी लैब से करवाया और उसमें भी हॉस्पिटल ने निजी लैब में जो शुल्क लगता है उससे ज्यादा मरीज से वसूल कर लिया… 1 लाख रुपए की दवाइयां भी खरीदवा दी.. इंदौर के 5 सितारा रेडिसन व मैरिएट होटल में भी 10 हजार रुपए का रुम नहीं है, उतनी राशि हॉस्पिटल ने मरीज से रूम चार्ज की वसूली..
लूट की हद यह रही कि सिटी स्कैन सहित ऐसे कई खर्च बिल में जोड़ दिए गए जो वास्तविक हुए ही नहीं.. मरीज की बेटी ने कलेक्टर को इस संबंध में शिकायत करते हुए हॉस्पिटल के फर्जी चार्जेस की जांच करवाने का अनुरोध किया था… नतीजतन कलेक्टर ने छापा डलवाया और बिल सहित रिकॉर्ड जब्ती से ये फर्जीवाड़ा उजागर हुआ… यह अकेले एक हॉस्पिटल का मामला नहीं है… अधिकांश निजी और यहां तक कि शासन से अनुबंधित हॉस्पिटलों में भी इसी तरह की कोरोना लूट यानी कट प्रैक्टिस चल रही है..
डेढ़-दो लाख रुपए तो किसी भी मरीज का बिल सामान्य रूप से बना ही दिया जाता है, जबकि बड़ी संख्या में एसिम्टोमैटिक मरीज होम आइसोलेशन में ही स्वस्थ हो गए और दूसरी तरफ ऐसे कई मरीजों से लाखों रुपए हॉस्पिटल में लूट लिए गए… कोरोना की दहशत से हलाकान मरीज और उसके परिजन इस तरह की सुनियोजित लूट के शिकार पांच महीने से हो रहे है..! ( हॉस्पिटल लूट की तस्दीक़ करते मरीज के बिल भी संलग्न है )