कोरोना का संक्रमण एक बार फिर दुनियाभर में बढ़ता दिखाई दे रहा है. वहीं वायरस की वजह से मरीजों के शरीर में काफी बदलाव भी देखे जा रहे हैं. महामारी की शुरुआत में, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे जोखिमपूर्ण कारकों को कोविड के गंभीर रूप धारण करने और मृत्यु से जोड़कर देखा गया था. अब हम जान चुके हैं कि यह वायरस असंख्य तरीकों से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है.
यह हृदय को प्रभावित कर सकता है और सीधे हृदय संबंधी जटिलताओं का कारण बन सकता है. इसके अलावा फाइजर एवं मॉडर्ना जैसे कोविड रोधी टीकों से भी हृदय में सूजन का खतरा सामने आया है. लेकिन, ऐसा बहुत कम देखने को मिला है. हालांकि कोविड टीकों से कहीं अधिक वायरस के संक्रमण से हृदय में सूजन आने की ज्यादा आशंका है.
स्कॉटलैंड में हुए अध्ययन में पाया गया कि वायरस का अल्फा स्वरूप की तुलना में डेल्टा स्वरूप की चपेट में आए लोगों को अस्पताल में भर्ती कराए जाने का दोगुना जोखिम था. यह भी पाया गया कि डेल्टा युवा लोगों में सबसे अधिक फैल रहा था.अच्छी खबर यह है कि फाइजर या एस्ट्राजेनेका टीकों की दो खुराक डेल्टा स्वरूप से उत्पन्न हुई जटिलताओं को रोकने में प्रभावी रही हैं.
वैज्ञानिकों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन और दुर्लभ रक्त के थक्के के बीच एक कड़ी की खोज की है. कोविड टीकों और हृदय की सूजन (मायोकार्डिटिस और पेरिकार्डिटिस) के बीच एक दुर्लभ दुष्प्रभाव जुड़ा है. यह आम तौर पर 30 साल से कम उम्र के पुरुषों में और दूसरी टीका खुराक लेने के बाद लोगों में देखा जाता है