98 साल की जीजी के सामने कोरोना ने मानी हार, घर में रह कर जीती संक्रमण से जंग

Rishabh
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इंदौर के साउथ राज मोहल्ला में रहने वाले मिश्रा परिवार की मुखिया है कलावती मिश्रा जिन्हें प्यार से सब जीजी कहते है। बुलंद इरादों और जीवटता की मिसाल माने जाने वाली 98 साल की जीजी ना सिर्फ परिवार बल्कि पूरे मोहल्ले की चहेती है। हर खास ओ आम को अपनी चपेट में ले रहे इस कोरोना वायरस को जीजी का पता भी मिल गया। करीब बारह दिन पहले तबियत नासाज हुई तो परिजन चिंता से घिर गए। जांच करवाई तो वही निकला जिसका अंदेशा था, जीजी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। बहरहाल रिपोर्ट भले आज पॉजिटिव आई थी मगर जीजी का मिजाज भी तो हमेशा से पॉजिटिव रहा है। उन्होंने अस्पताल जाने से साफ इंकार कर दिया। घर के एक कमरे में आइसोलेट होकर हिम्मत के साथ उन्होंने कोरोना से जंग लड़ी। जीजी की जीवटता को देख निश्चित रूप से कोराना ने खुद पनाह मांग ली, तभी तो 9 दिन में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। दसवे दिन यानी रविवार को मदर्स डे के दिन पूरे परिवार को उन्होंने अपने आंचल में समेट लिया जिसमे चार साल की पड़पोती मान्या भी शामिल थी।

रविवार को घर में जश्न का माहौल –
रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जीजी की उनकी सकारात्मक सोच ने चिंता आधा कर दिया। पुत्र प्रेमकांत मिश्रा और केके मिश्रा ने सारी सुविधाएं जुटाई। हवादार कमरे में परिजनों से दूर जीजी को आइसोलेट कर दिया गया। सिर्फ दोनों पुत्र उनके साथ थे पूरी सुरक्षा और एहतियात के साथ। वीडियों कॉल पर जीजी नाती पोते पड़पोते और पड़पोती तक से रोज बतियाती। आइसोलेशन के वो दिन सिर्फ इसी प्यार और उत्साह में बीत गए। दवा, गोली, खाना पीना अपनी जगह था पर असली औषधी तो परिवार था जो हर वक्त जीजी के साथ आॅन लाइन मोबाइल के जरिए मौजूद रहा। बस इसी औषधी ने सारा कमाल कर दिया। रविवार को मदर्स डे का दिन मिश्रा परिवार के लिए दिवाली से कम नहीं था।

जीजी ने दिखाई राह –
कहते है ना मन के हारे हार और मन के जीते जीत…..।
बस जीजी ने अपने हौसले से वायरस को परास्त कर उन लोगों को राह दिखाई है जो पॉजिटिव होने के बाद हिम्मत हार जाते है। उन्होंने यह बताया कि बिमारी चाहे कितनी बड़ी हो हमारी हिम्मत और मन की ताकत से बड़ी नहीं हो सकती। सकारात्मक उर्जा के साथ मुकाबला करे तो हर जंग जीती जा सकती है।