वातावरण में प्रदूषण और बिगड़ती लाइफस्टाइल में स्मोकिंग की वजह से सीओपीडी, लंग कैंसर और अन्य समस्याएं आ रही सामने – डॉ मिलिंद बाल्दी विशेष जूपिटर हॉस्पिटल

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इंदौर। कोविड ने हमारे लंग्स पर बहुत गलत प्रभाव छोड़ा है वही अगर बात हमारी बदलती लाइफ स्टाइल में स्मोकिंग की कि जाए तो उसकी वजह से भी कई बार सांस से संबंधित समस्या सामने आती है। वही पेड़ो की कटाई फैक्ट्री और गाड़ियों से निकलता धुआं पोलूशन से संबंधित समस्या को बढ़ावा दे रहा है।जिसके कारण जो सांस हम ले रहे हैं उसकी गुणवत्ता दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। और एयर में केमिकल की मात्रा बढ़ती जा रही है जो कि हमारे फेफड़ों से संबंधित समस्या को बढ़ावा दे रही है। स्मोकिंग के चलते पुरुषों में तो ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में चूल्हे पर खाना बनाने के दौरान सीओपीडी से संबंधित समस्या सामने आ रही है।पहले के अब मुकाबले अस्थमा की बीमारी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। सांस से संबंधित समस्याओं से बचने के लिए हमें हमारी जीवन शैली में बदलाव की जरूरत है। हमें हमारी डेली एक्टिविटी में योग, प्राणायाम, रूटीन एक्सरसाइज और अन्य चीजों पर ध्यान देना होगा।यह बात डॉ मिलिंद बाल्दी ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही। वह शहर के प्रतिष्ठित विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में चेस्ट सुपर स्पेशलिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल. लंग से संबंधित समस्या सीओपीडी क्या है यह कैसे सामने है?

जवाब.हमारी बदलती लाइफस्टाइल के चलते स्मोकिंग का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। आजकल यह एक ट्रेंड हो गया है जिस वजह से सीओपीडी की समस्या सामने आ रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं चूल्हे पर खाना बनाती है इस वजह से उनमें सीओपीडी से संबंधित समस्या देखी जाती है। कई बार घर के छोटे बच्चे और अन्य व्यक्ति धुएं के संपर्क में आते हैं इस वजह से उनमें भी यह बीमारी होने के चांस होते है। यह बीमारी धीरे-धीरे डेवलप होती है जिस वजह से लंग्स की कैपेसिटी कमजोर हो जाती है। अगर इसके शुरुआती लक्षण की बात की जाए तो लंबे समय खांसी रहना, खांसी में कफ आना, सांस फूलना और अन्य प्रकार की समस्या देखने को सामने आती है। आमतौर पर इसके लक्षण तभी सामने देखने को आते हैं जब लंग्स की केपेसिटी 40 से 50% तक खत्म हो जाती है। कई बार लोग इसे दूसरी समस्या समझ कर गलत डायरेक्शन में इलाज करवाते हैं जिससे यह समस्या आगे बढ़ जाती है। इन बीमारियों के चलते जब लंग्स डैमेज होते हैं तो लाइफ पर इसका असर पड़ता है साथ ही इन समस्याओं के चलते दूसरी बीमारियां भी सामने आती है जैसे निमोनिया, शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल बढ़ जाना और अन्य प्रकार की समस्या शामिल है।

सवाल. अस्थमा से संबंधित समस्या क्या है क्या इसके प्रति लोगों में जागरूकता है?

जवाब. अस्थमा से संबंधित समस्या की अगर बात की जाए तो यह समस्या कई कारणों से सामने आती है साथ ही कई बार अस्थमा की बीमारी जेनेटिक रूप से भी सामने आती है। अस्थमा कई चीजों के चलते ट्रिगर होता है किसी को धूल, धुएं, परागकण, परफ्यूम,स्मेल, मौसम परिवर्तन और अन्य कारणों से सामने आता है। अस्थमा से संबंधित समस्या में व्यक्ति की सांस नली सिकुड़ जाती है जिसके चलते खांसी, खंखार आना, बलगम आना,सांस फूलना, सांस में सिटी जैसी आवाज़ आना शामिल है। कई बार जब बलगम श्वास नली में फंस जाता है तो पेशेंट को सांस लेने में समस्या होती है। स्टडी के अनुसार अस्थमा के आंकड़ों में भी बढ़त हुई है।कई बार लोग इस समस्या को नजरअंदाज करते हैं साथ ही लोगों में इसके ट्रीटमेंट को लेकर भी बहुत ज्यादा भ्रांति है अक्सर यह देखा गया कि लोग समझते हैं कि अस्थमा में इनहेलर लेने के बाद इसकी आदत हो जाएगी जो की पूरी तरह गलत है।

सवाल. लंग कैंसर क्या है यह किन कारणों से सामने आता है, इसके लक्षण क्या होते हैं ?

जवाब. वर्तमान समय में लंग कैंसर से संबंधित समस्या बहुत ज्यादा देखने को सामने आ रही है आमतौर पर यह समस्या स्मोकिंग के चलते सामने आती है लेकिन कई बार अन्य बीमारियों की वजह से भी सामने आती है। कई बार लोगों में ट्यूबरक्लोसिस के चलते भी इसकी संभावना बढ़ जाती है। लोगों में जागरूकता की कमी और मिसगाइडेंस की वजह से कई बार लोग लंग कैंसर को टीबी समझकर इसका इलाज करवाते रहते हैं वही खांसी को आम खांसी समझकर नजरअंदाज करते रहते हैं जिस वजह से यह बीमारी काफी लेट डिटेक्ट होती है। इसके अगर लक्षण की बात की जाए तो भूख कम लगना, खांसी में खून आना, वजन कम होना और अन्य लक्षण शामिल है। लंग कैंसर की समस्या स्मोकिंग के साथ एयर पोलूशन, जेनेटिक और अन्य कारणों से भी सामने आती है। इसको लेकर जागरूकता और इसके लक्षणों की सही समय पर जांच कर ट्रीटमेंट करवाना बहुत जरूरी है।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है ?

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस और और पल्मोनरी मेडिसिन में एमडी की पढ़ाई मुंबई के प्रतिष्ठित किंग एडवर्ड मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से कंप्लीट की है। मैने पीजीआई चंडीगढ़ से सुपर स्पेसिलाइजेशन में डीएम की पढ़ाई पल्मोनरी मेडिसिन एंड क्रिटिकल केयर मैं की है। वही मैंने यूके के रॉयल कॉलेज आफ फिजिशियंस से एमआरसीपी कंप्लीट किया है। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद श्री गंगा राम हॉस्पिटल दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, बॉम्बे हॉस्पिटल इंदौर मैं अपनी सेवाएं दी है। अभी वर्तमान में मैं शहर के प्रतिष्ठित विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में चेस्ट सुपर स्पेशलिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।