‘‘पं छोटू शास्त्री’’
धार जिले में शराब सिंडिकेट को आबकारी विभाग का इतना गहरा सहयोग है, कि आदिवासियों की हत्या तक में शराब सिंडिकेट और विभाग को कोई गुरेज नहीं है। धार जिले के डही जनपद पंचायत के प्रतिनिधि अर्जुन कनासिया के व्यावसायिक मर्डर के पश्चात अभी कुछ ही दिन नहीं हुए थे कि धार से 15 किलोमीटर दूर तिरला ग्राम पंचायत क्षेत्र में मगन सिंह नाम के आदिवासी कार्यकर्ता की शराब सिंडिकेट और आबकारी विभाग के अधिकारियों के द्वारा वहां कुचलकर हत्या कर दी गई, ज्ञात रहे, कि मगन सिंह की माता धार जिला पंचायत की सदस्य हैं।
मनावर के विधायक हीरालाल अलावा तथा सेंधवा के विधायक ने डही के जनपद प्रतिनिधि की शराब सिंडिकेट के द्वारा की गई हत्या पर धार से भोपाल तक मुद्दा उठाया था, तथा सरकार की किरकिरी हुई थी।
सबसे खास बात यह है कि 31 मार्च को मगन सिंह की हुई हत्या से पूर्व दिनांक 27 मार्च को धार जिले में पदस्थ सहायक जिला आबकारी अधिकारी राधेश्याम राय अपने सर्किल के इंस्पेक्टर के साथ जाकर मगन सिंह को उसके घर में बोलकर आए थे, कि तेरी हत्या कर दूंगा या गाड़ी से कुचल के फेक् दूंगा (इस बात की पुष्टि राधेश्याम राय के टावर लोकेशन से की जा सकती है)।
31 मार्च को नए शराब ठेका प्रारंभ होने से पूर्व सिंडिकेट में आबकारी अधिकारियों के सहयोग से मगन सिंह को कुचल करके मार डाला। मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने इस बात पर माननीय मुख्यमंत्री को ट्वीट किया है। माना जा रहा है कि उमंग सिंगार इस मुद्दे पर दिल्ली से लौटकर न सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, बल्कि आदिवासियों को आबकारी के अधिकारी तथा ठेकेदारों के अपराधिक और अपराधिक जोड़ से मुक्त करने के लिए प्रभावी कदम उठायेगे।
धार जिले में पिछले 1 साल में आदिवासियों की हत्या तथा उनके साथ मारपीट एवं जातिगत दुर्व्यवहार का काम सबसे अधिक शराब ठेकेदार के द्वारा किया गया है, यह वही शराब सिंडिकेट है जो भारी मात्रा में अवैध शराब गुजरात भेजता है, इस सिंडिकेट को सबसे अधिक सहयोग आबकारी विभाग तथा पुलिस विभाग के द्वारा दिया जाता है।
धार जिले में फर्जी परमिट के आधार पर पीथमपुर तथा लेबड में स्थित शराब फैक्ट्री से प्रतिदिन 15 से 20 ट्रक शराब झाबुआ के रास्ते एवं अलीराजपुर के रास्ते गुजरात जाती है आदिवासियों का कहना है कि यह शराब बिना शासन को ड्यूटी दिए न सिर्फ गुजरात जाती है बल्कि पूरे धार- झाबुआ तथा अलीराजपुर में गांव-गांव घर-घर शराब बिक रही है, एक दुकान जिस गांव में खुलती है उसके आसपास करीब 40 गांव में अवैध शराब बिकती है। और यह आदिवासी बंधु जब इस अवैध शराब का विरोध करते हैं तो या तो उनकी हत्या कर दी जाती है या मारपीट किया जाता है ,और कई बार जातिगत अपमान करते हुए गालियां दी जाती है।
संयुक्त आदिवासी संघर्ष समिति के महासचिव विजय चौपडा ने प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को आदिवासियों के शराब सिंडिकेट के द्वारा हत्या एवं मारपीट रोकने के लिए पत्र लिखा है ,तथा आबकारी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने का अनुरोध किया है ,एवं श्री चौपडा ने इस बात को भी लिखा है कि पुलिस अधीक्षक को दिए गए पत्र के पश्चात भी किसी भी आबकारी अधिकारी के विरुद्ध कोई प्रकरण नहीं दर्ज किया गया है ।जबकि प्रतिदिन न सिर्फ करोड़ों रुपए की शराब गुजरात जा रही है ,बल्कि आदिवासी क्षेत्रों में घर-घर शराब भेजी जाती है और विरोध करने पर आदिवासियों की मारपीट करके हत्या कर दी जाती है। श्री चौपडा ने आषा व्यक्त कि है कि एस.पी. मनोज कुमार सिंह हम आदिवासियों के साथ न्याय करेगे।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने भी दूरभाष पर दिल्ली से कहा है ,कि वह धार आते ही संपूर्ण आदिवासी अंचल में अवैध शराब सिंडिकेट और आबकारी अधिकारियों के आपराधिक जोड़ को न सिर्फ उजागर करेंगे, बल्कि यह भी स्थापित करेंगे की इस आदिवासी शोषण एवं आदिवासियों के विरुद्ध शराब व्यवसाईयों के अवैधानिक अत्याचार में सरकार का समर्थन हासिल है।