कीर्ति राणा
प्रदेश के मतदाताओं को भाजपा सरकार की घोषणाओं वाले सम्मोहन से मुक्त कराने के लिए कांग्रेस ने अपना जो ब्लू प्रिंट तैयार किया है उसमें पांच गारंटी, बड़े नेताओं की सभा और युवा मतदाताओं को प्रभावित करना है। विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे जैसे बड़े नेताओं की आदिवासी, जनजाति बहुल क्षेत्रों और महानगरों में आमसभा कराने का निर्णय लिया है वहीं जबलपुर में 12 जून को पहली मप्र यात्रा में प्रियंका गांधी द्वारा घोषित की गई पांच गारंटी को शिवराज सरकार की तमाम घोषणाओं के मुकाबले प्रभावी और गेम चेंजर मान रही है कांग्रेस।
लाड़ली बहना योजना में एक तरफ जहां शिवराज सरकार ने धीरे-धीरे तीन हजार रु तक देने की घोषणा की है तो कांग्रेस हर महीने 15 सौ रुपए के साथ ही पांच सौ रु में गैस सिलेंडर देने को इसका तोड़ मान रही है।किसानों की कर्ज़ माफी ने पिछले चुनाव में भी कांग्रेस को सफलता दिलाई थी। इस बार दूसरी गारंटी किसानों की कर्ज माफी की है।चौथी गारंटी कर्मचारी वर्ग को ओल्ड पेंशन स्कीम को प्रदेश की सभी श्रेणी के कर्मचारियों का विश्वास जीतने और बिजली बिल 100 यूनिट तक माफ, 200 पर हाफ वाली पांचवी गारंटी को सर्वाधिक वोट कैचर माना जा रहा है।
इन पांच गारंटी के साथ कर्नाटक की तरह मप्र में में भी 18 साल में भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाएगी। कर्नाटक में 40 प्रतिशत कमीशन का मुद्दा था, यहां इसे बढ़ा कर 80 फीसदी कमीशन प्रचारित किया जाएगा। मप्र के अधिकांश अंचलों में प्रियंका वाड्रा, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की सभा से हवा को अपने पक्ष में मजबूत बनाना चाहती है कांग्रेस।प्रियंका की पहली सभा इसी महीने ग्वालियर (34 सीट) चंबल (30 सीटें) संभाग में तय की गई है ताकि 64 सीटों पर लाभ मिल सके। आदिवासी बहुल 101 सीटों वाले पर फोकस, के साथ प्रदेश के कुल 65 हजार बूथों पर पहली बार मंडलम, सेक्टर वाली व्यवस्था से हर बूथ पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाकर सूची तैयार की जा चुकी है। 230 में से उन सीटों पर कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सुरेश पचोरी आदि बड़े नेताओं का फोकस है जो सतत तीन चुनाव या उससे अधिक बार कांग्रेस जीत नहीं पाई है।
सिंधिया मनाएं, तोमर दरार बढ़ाए
ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में आने के बाद से ग्वालियर में अपने कट्टर विरोधी जयभान सिंह पवैया को मनाने के लिए दोस्ती का हाथ कई बार बढ़ा चुके हैं, इसका पवैया पर असर भी हुआ है लेकिन उनका तनाव इसलिए कम नहीं हो रहा है कि सिंधिया समर्थक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर इतनी ऊर्जा से लबरेज हैं कि आठ-पंद्रह दिन में ग्वालियर के एकमेव नेता होने का झटका उन्हें देते रहते हैं।वैसे तो जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट हैं तो सिंधिया के आज्ञाकारी हैं लेकिन अकसर तोमर का साथ देते रहते हैं।
दो नंबर में आश्वासन दे आए सांसद
क्षेत्र क्रमांक दो नेताओं को या तो पता नहीं है या इलाके की महिलाएं उनसे बोलने में हिचकिचाती हैं। तभी तो जब सांसद लालवानी केंद्र सरकार की उपलब्धियां बताने जनसंपर्क करते इस क्षेत्र के वार्ड 18 और 19 में पहुंचे तो महिलाओं ने ही नहीं पार्षद ने भी शराब दुकानदार-ठेकेदार की मनमानी और सड़क पर ही शराब पीकर क्षेत्र में उत्पात मचाने वालों की शिकायत के साथ ही पुलिस महकमे की उदासीनता वाली शिकायतों की झड़ी लगा दी।यह जानते हुए भी कि दो नंबर में यहां के नेताओँ की मर्जी बिना पत्ता भी नहीं हिलता, सांसद आश्वासन दे आए हैं कि शराब ठेकेदारों की मनमानी, गुंडागिर्दी, उत्पात से मुक्ति दिलाएंगे।
नमोस्तु आचार्य कहने का रास्ता तलाशने लगी है सरकार
अपनी बात मनवाने के लिए कैसे सरकार पर दबाव डाला जाए इंदौर के दिगंबर जैन समाज ने संतों के आशीर्वाद से इसका मंगलाचरण कर दिया है।मामला जब समाज और जैन संतों की नाराजी से जुड़ा हो तो सरकार के सलाहकार अगले एक पखवाड़े में समाज की नाराजी दूर कर शिवराज की जय जयकार कराने का हल खोजने में लग गए हैं। गोम्मटगिरी तीर्थ की जमीन से अपने मंदिर के लिए गुर्जर समाज द्वारा रास्ते की मांग को लेकर दोनों पक्षों में चल रहे विवाद का सर्वसम्मत निराकरण जिला प्रशासन भी नहीं कर पाया।अब इस ट्रस्ट के अध्यक्ष और दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष भरत मोदी ने समाज हित के लिए सरकार के विरुद्ध मैदान पकड़ लिया है।
मप्र में जैन मतदाता बहुल 100 सीटों पर समाज अपने प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में खड़े करेगा।जरूरी नहीं कि सब जीत ही जाएं लेकिन भाजपा प्रत्याशियों की जीत में अड़ंगा भी लगा सके तो सरकार को सबक सिखाने के संकल्प की पूर्ति हो जाएगी। सौ सीटों पर प्रत्याशी उतारने की नौबत ही नहीं आए सरकार इसका हल खोजने में जुट गई है, आह्वान करने वाले जैन संत पुलक सागर जी, संत प्रणाम सागर, संत आदित्य सागर आदि की शरण में पहुंच कर सरकार आशीर्वाद लेने की तत्परता दिखाने का मौका तलाश रही है। संतों की शरणम में सरकार का नमोस्तु आचार्य कहने का मतलब है भरत मोदी के प्रभाव में राष्ट्रीय स्तर पर वृद्धि होना।