धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में कांग्रेस, SP-TMC ने भी मिलाया हाथ

srashti
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संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, दोनों सदनों में कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल रही है। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया है। सूत्रों के अनुसार, अब विपक्षी सांसद राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे हैं। यह प्रस्ताव विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस द्वारा लाया जा सकता है, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (एसपी) और अन्य इंडिया अलायंस की पार्टियों का समर्थन प्राप्त है।

विपक्षी दलों का अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय

विपक्षी दलों का आरोप है कि सभापति ने सदन में पक्षपाती तरीके से काम किया है, जिसके कारण वे अब संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं। इस प्रस्ताव के समर्थन में कई विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं और अब इसे प्रस्तावित करने की योजना बनाई जा रही है।

वहीं, केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों ने कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेताओं पर विदेशी संगठनों के माध्यम से देश की सरकार और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का आरोप लगाया है। इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए, सत्तारूढ़ पक्ष के सांसदों ने राज्यसभा में हंगामा किया, जिससे कार्यवाही बार-बार स्थगित हो गई।

विपक्षी सांसदों के सवाल: क्या नियमों का उल्लंघन हो रहा है?

विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति पर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस के सांसद राजीव शुक्ला ने सभापति से पूछा कि किस नियम के तहत सत्तापक्ष के सांसदों को बोलने की अनुमति दी जा रही है, जबकि विपक्षी सांसदों को इस अधिकार से वंचित किया जा रहा है। शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष की बातें पूरी तरह से दिखाई जा रही हैं, जबकि विपक्षी सांसदों के शोर-शराबे को मीडिया में नहीं दिखाया जा रहा है, जो उनके अनुसार गलत है।

कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने भी सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाया और सवाल किया कि किस आधार पर उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की। उन्होंने नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया और कहा कि यह सब सदन के अच्छे संचालन के खिलाफ है।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान विवाद

राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान एक और विवाद तब उत्पन्न हुआ जब बीजेपी के सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी को शून्यकाल के दौरान बोलने का मौका मिला। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बोलना शुरू किया, जिस पर कांग्रेस के जयराम रमेश ने आपत्ति जताई। रमेश ने कहा कि जब सभापति ने नियम 267 के तहत सभी नोटिस रद्द कर दिए हैं, तो इस मुद्दे को उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने सभापति से आग्रह किया कि वे पक्षपाती न बनें और सदन में निष्पक्षता बनाए रखें।

विपक्ष और सत्तारूढ़ पक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप

संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने विपक्षी सांसद संजय सिंह पर प्रतिक्रिया दी, जो हंगामा कर रहे थे और आसन के सामने आ रहे थे। रिजिजू ने कहा कि उन्हें इस तरह का व्यवहार शोभा नहीं देता। वहीं, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी आरोप लगाया कि उन्हें सदन में बोलने का मौका नहीं दिया गया। खड़गे ने कहा कि उन्होंने कई बार हाथ उठाया, लेकिन सभापति ने उनका ध्यान नहीं आकर्षित किया और मंत्री से फोन पर बात की, जो उनके अनुसार उचित नहीं था।

इस पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता को अपनी बात रखने के बजाय आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है। धनखड़ ने कहा कि सदन के नेता के साथ होना उनका अधिकार है और विपक्ष के नेता को अपनी बात सदन में रखनी चाहिए।