” उदयपुर ” से सहमी कांग्रेस, गुस्से में इंदौर

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नितिन मोहन शर्मा

400 किमी दूर राजस्थान के उदयपुर में हुए बर्बर हत्याकांड ने कांग्रेस को यहां इंदौर में सहमा दिया है। पार्टी को अच्छे भले चुनाव में ध्रुवीकरण की चिंता सताने लग गई। मेयर उम्मीदवार संजय शुक्ला भी डर गए कि कही उदयपुर के घटनाक्रम का असर ध्रुवीकरण के रूप में सामने आ गया तो सब “किये धरे” पर पानी फिर जाएगा। उदयपुर में कट्टरपंथी द्वारा गला काटकर की गई हत्या ने बहुसंख्य समाज को उद्वेलित कर दिया है। बुधवार को घटना का जबरदस्त आक्रोश सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से लेकर शहर की सड़को पर भी नजर आया।

सड़क पर हिन्दू जागरण मंच, बजरंग दल, विहिप, हिन्दू सेना जैसे आरएसएस विचारधारा से जुड़े संगठनों के मैदान में उतरने से कांग्रेस के चूनावी रणनीतिकार पार्टी उम्मीदवार संजय शुक्ला के चुनाव अभियान के लिए मुफीद नही मान रहे है। गुरुवार को भी बजरंग दल हत्याकांड के खिलाफ सड़को पर है और वो पूरे शहर में 30 से ज्यादा स्थानों पर इस्लामिक आतंकवाद का पुतला भी फूंक रहा है। ऐसे में अगर उदयपुर मुद्दा चुनावी परिदृश्य में दो चार दिन ओर बना रह गया तो टीम शुक्ला का भी ये मानना है कि ये मुद्दा शुक्ला की चुनावी सम्भावनाओ पर गहरा असर डाल सकता है। जबकि इस मामले से यहां की कांग्रेस का कुछ लेना देना नही। लेकिन घटना जिस राज्य राजस्थान में घटी वहां कांग्रेस सत्तासीन है।

ऐसे में बहुसंख्यक के निशाने पर कांग्रेस को आते देर नही लगेगी। भाजपाई खेमा भी अब इस घटना को लेकर मुखर हो चला है। पार्टी के चुनाव प्रबंधन समिति के मुखिया ओर विधायक रमेश मेंदोला ने तो इस मामले में सीधे कांग्रेस को दोषी करार देते हुए देश मे पसरती वर्ग विशेष की कट्टरता के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार भी बताया। कांग्रेस खेमे में कल दिनभर उदयपुर घटनाक्रम को लेकर चिंता और असमंजस का माहौल बना रहा। पार्टी के बड़े नेता भी एक दूसरे से फोन कर इन घटना को चुनाव की सम्भावनाओ से जोड़कर रणनीति बनाते रहे।

पार्टी के एक बड़े धड़े का मानना है कि आरोपियों का हाथों हाथ एनकाउंटर हो जाता तो कांग्रेस के लिए राजस्थान ही नही मध्यप्रदेश खासकर इंदौर के लिये भी राहत की बात रहती। प्रदेश में चल रहे नगरीय निकाय चुनाव में एनकाउंटर का असर नजर भी आता। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के एक केबिनेट मंत्री प्रतापसिंह ने भी बुधवार को ही इस आशय का सार्वजनिक बयान भी दिया। मंत्री के बयान से इंदौर के कांग्रेस नेताओं में भी इत्तेफ़ाक़ रखा। लेकिन अब देर हो गई क्योकि पूरे घटनाक्रम में पाकिस्तान कनेक्शन अब सामने आ गया है और 2 की जगह अब 5 गिरफ्तारी हो गई है।

ऐसे में आतंक के पूरे मॉड्यूल को नेस्तनाबूद करने के लिए अब आरोपियों का जीवित रहना आवश्यक हो गया है। जिस सिफ़ा संगठन का नाम आ रहा है उसके तार भी एमपी के रतलाम यानी के इंदौर से महज 120 किमी दूर से जुड़े है। लिहाजा ये मुद्दा इंदौर के चुनाव को गरमा गया है। कांग्रेस की ये चिंता महापौर उम्मीदवार खेमे तक ही नही सीमित रही बल्कि वार्डो तक ये चिंता पसर गई और कल के चुनावी जनसम्पर्क में पार्टी की तरफ से दिख रही वो गर्मी गायब थी जो अब तक नजर आ रही थी।

कांग्रेस के लिए बाजारों का बन्द रहना भी नुकसानदेह

उदयपुर में हुई घटना के विरोध।के गुरुवार को शहर के बाजारों में आधे दिन का बन्द भी कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। पार्टी के मेयर उम्मीदवार संजय शुक्ला ने अपने चूनावी अभियान का आगाज जिन बाजारों सराफा मारोठिया बाजार, बरतन बाजार, सीतलामाता बाजार, राजबाड़ा, सियागंज, कपड़ा मार्केट, साठा बाजार आदि से किया था, वे सब बाजार बंद में न केवल शामिल है बल्कि व्यापारी वर्ग हत्याकांड को लेकर मुखर भी है। शुक्ला ने सबसे पहले इसी वर्ग के बीच पेठ बनाकर भाजपा को बैकफुट पर धकेला था। विरोध में बन्द हुए बाजारों के कारण भाजपा पुनः बाजारों में ड्राइविंग सीट पर आ गई और कांग्रेस सफाई देने की स्थिति में।

सोशल मीडिया पर तो ” खूनी पंजा” हो गया चुनाव चिन्ह

प्रचार तंत्र में अब तक बढ़त बनाये हुई कांग्रेस के लिए बुधवार का दिन किसी सदमे से कम नही रहा। कल का पूरा दिन फेसबुक ट्विटर वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखते ही देखते ही कांग्रेस के खिलाफ मूवमेंट खड़ा हो गया ओर पार्टी का चुनाव चिन्ह “खूनी पंजे” के रूप के प्रचारित होने लग गया। कांग्रेस कहा तो इस चुनाव को नगर निगम की कार्यप्रणाली ओर विकास के मुद्दे पर फ़ोकस किये हुए थी और कहा अब उसे बगेर कुछ किये उदयपुर की घटना से जोडा जा रहा। सिर्फ इसलिए कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है।