भोपाल : शिवराज सिंह चौहान सरकार मध्य प्रदेश की जनता को बरगलाने और ठगने के अपने अभियान में निरंतर सक्रिय है। आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में भोपाल मेट्रो के ट्रायल रन का दिखावटी शुभारंभ किया। इसके पहले वह भोपाल में मेट्रो के एक बिना पहिए वाले डिब्बे का भी नुमाइश कर चुके हैं और उसके पहले उन्होंने इंदौर मेट्रो के ट्रायल रन का शुभारंभ किया।
अब सवाल यह है कि जिस प्रदेश को तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ ने सितंबर 2019 में ही भोपाल के लिए भोज मेट्रो और इंदौर के लिए इंदौर मेट्रो का तोहफा दिया था और दिसंबर 2022 में भोपाल में मेट्रो ट्रेन और अगस्त 2023 में इंदौर में मेट्रो ट्रेन चलनी थी वह समय पर क्यों नहीं चल सकी।
कमलनाथ द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं को दो-दो साल तक लेट करने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नहीं है, तो आखिर किसकी है? आज जब भोपाल और इंदौर की जनता को मेट्रो ट्रेन का सफर करना था तब उन्हें सिर्फ ट्रायल रन का तमाशा क्यों दिखाया जा रहा है?
आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा की भोपाल में पहले तांगे चला करते थे और अब मेट्रो चलने जा रही है तो क्या इसका श्रेय उन्हें माननीय कमलनाथ को नहीं देना चाहिए था? यह कमलनाथ ही थे जिन्होंने केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए मध्य प्रदेश के लिए कई नेशनल हाईवे और सड़कों के लिए पैसे स्वीकृत किए। यह कमलनाथ ही थे जिन्होंने स्वर्गीय बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्री कार्यकाल में भोपाल मेट्रो की डीपीआर बनाने के लिए धनराशि स्वीकृत की थी। यह कमलनाथ ही थे जिन्होंने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में मेट्रो ट्रेन का शिलान्यास किया। यह कमलनाथ ही थे जिनके कार्यकाल में मेट्रो ट्रेन के लिए टेक्निकल और मृदा परीक्षण का काम पूरा हुआ। यह सिर्फ कमलनाथ ही थे जिन्होंने मेट्रो ट्रेन के लिए कई करोड़ के टेंडर भी स्वीकृत कर दिए थे। जिस भोपाल मेट्रो का नाम माननीय कमलनाथ ने भोपाल के संस्थापक महाराजा भोज के नाम पर रखा था उसे नाम को परिवर्तित करके शिवराज सरकार ने महाराज भोज का अपमान किया है।
मैं शिवराज सिंह चौहान से मांग करता हूं कि वह महाराज भोज का अपमान करने के लिए मध्य प्रदेश की जनता से माफी मांगे। जो मेट्रो ट्रेन 2022 में चलनी थी उसे 2023 तक ना चल पाने के लिए भी शिवराज सिंह चौहान भोपाल की जनता से माफी मांगे। माननीय कमलनाथ हमेशा कहते हैं की शिवराज सिंह चौहान जहां नदी नहीं होती है, वहां पुल की घोषणा कर देते हैं और जहां कार्यक्रम नहीं होता है वहां नारियल फोड़ कर शिलान्यास कर देते हैं।
भोपाल की जनता देख रही है कि शिवराजसिंह चौहान 2008 से ही विधानसभा चुनाव के पहले मेट्रो की रट लगा देते हैं और सरकार बनने के बाद मेट्रो के काम को या तो भुला देते हैं या फिर लंबी तरह से लटका देते हैं। शिवराज सिंह चौहान के झूठ की कहानी बहुत लंबी है, 9 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया था कि जापान की इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी ने 0.3 प्रतिशत की दर से इंदौर और भोपाल मेट्रो के लिए 12000 करोड रुपए का लोन स्वीकृत कर दिया है। लेकिन 7 मार्च 2017 को शिवराज सरकार की तत्कालीन शहरी विकास मंत्री माया सिंह ने स्पष्ट किया कि जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी ने कोई भी फंड स्वीकृत नहीं किया है।
कमलनाथ की सरकार ने 2019 में जब भोपाल और इंदौर मेट्रो का शिलान्यास किया तब इसके लिए कंपनी का निर्माण किया गया, जिसमें केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के बीच 50-50 हिस्सेदारी वाली ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाने की बात को कैबिनेट ने मंजूरी दी। वर्ष 2019 में भोज मेट्रो का जो खाका तैयार किया गया था, उसके मुताबिक एक कॉरिडोर करोद सर्कल से एम्स तक 14.94 किलोमीटर का बना था और दूसरा कॉरिडोर भारत माता चौराहे से रत्नागिरी चौराहे तक 12.88 किलोमीटर का होगा। इसकी कुल लागत 6941 करोड़ 40 लाख होगी। प्रोजेक्ट में एलिवेटेड क्षेत्र 26 किलोमीटर का होगा, इसमें कुल 28 स्टेशन बनेंगे। अंडरग्राउंड क्षेत्र 1.79 किलोमीटर का होगा। पहला रूट दिसंबर 2022 तक चालू हो जाएगा। वहीं 278 करोड रुपए के टेंडर शिलान्यास के दिन तक जारी किए जा चुके थे। साइल टेस्टिंग और डिजाइन टेस्टिंग का कार्य हो चुका था।
मैं मध्य प्रदेश की जनता को स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं की भोपाल और इंदौर मेट्रो का शिलान्यास माननीय कमलनाथ ने किया था और इसका उद्घाटन भी माननीय कमलनाथ ही करेंगे। इस बीच की अवधि में शिवराज सिंह चौहान जो भी कुशल अभिनय और नुमाइश आपको दिखाएं उसे आप बर्दाश्त करते रहें क्योंकि यह नुमाइशें भी आखिरकार मध्य प्रदेश की जनता के खून-पसीने और गाढ़ी कमाई से ही हो रही है। आगामी 2 महीने बाद प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने वाली है, उसी समय हम न सिर्फ मेट्रो का संचालन सुनिश्चित करेंगे, बल्कि इस बात पर भी पूरा ध्यान देंगे कि शिवराज सरकार ने इस परियोजना में कितना एडवांस कमीशन खाया है और क्या-क्या घोटाला किया है। इसलिए अगर कोई अधिकारी इस घोटाले में शामिल हो रहे हों तो वह अभी से अपना दामन पाक-साफ कर ले। क्योंकि कमलनाथ की चक्की बारीक पीसती है और उसमें भ्रष्टाचारियों के बचने की कोई गुंजाइश नहीं है।