शहर की तीन कमजोर सीटों पर कांग्रेस की कड़ी नजर

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इंदौर। 150 सीट जीतकर सरकार बनाने का सपना देख रही कांग्रेस इस बार एग्रेसिव नजर आ रही है। इस बार सालो से गंवा कर बैठी शहर की तीन कमजोर सीटों को हथियाने के लिए कांग्रेस खूब जोर लगा रही हे। इन तीनो सीटों पऱ पऱ जीत का स्वाद चखने के लिए तरस वह रही है। अगर कांग्रेस ने एकजुट होकर काम किया तो वह अपना पुराने रिकॉर्ड तोड़ सकती है। विधानसभा 2 में 30 साल, 4 में 33 साल और 5 में 20 साल से कांग्रेस चुनाव में नहीं जीती है। उधर सुरजीत चड्ढा को शहर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने पर कांग्रेस में चर्चा का विषय बना हुआ है। चौकाने वाले इस निर्णय पर हर कोई यही चर्चा कर रहा है कि आखिर किस समीकरण के तहत सुरजीत को अध्यक्ष बनाया है। अब देखना यह है कि सुरजीत अपनी नई पारी में किस तरफ की बल्लेबाजी करते हैं।
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शहर की तीन कमजोर
सीटों पऱ कांग्रेस को
तलाश है जीत की
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कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक लम्बे समय के बाद पहली बार कांग्रेस मजबूत स्थिति में दिख रही है। इस बार शहर की तीन कमजोर सीटों पऱ अपना परचम लहराने का अच्छा मौका है। विधानसभा दो, चार और पांच इतनी कमजोर सीटें है जहां पर कांग्रेस सालों से चुनाव नहीं जीत पाई हे। बताया गया हे कि इन तीनों विधानसभा सीटों पर सही तरीके से मैनेजमेंट नहीं होने के कारण हमेशा पराजय का मुंह देखना पड़ता हे।
तीनो कमजोर सीटों पऱ एक नजर डालते है –
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विधानसभा – 2
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🔹 1952 में पहली मर्तबा चुनाव हुए । तब लेकर 90 तक विधानसभा क्षेत्र क्रमांक दो में कांग्रेस लगातार जीतती रही।
🔹 1990 में आखिरीबार कांग्रेस से सुरेश सेठ चुनाव जीते थे। उन्होंने विष्णुप्रसाद शुक्ला को 1200 वोटों से पराजित किया था।
🔹1993 में शहर कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहते हुए पंडित कृपाशंकर शुक्ला को कैलाश विजयवर्गीय ने 20883 वोटों से पराजित किया था।
🔹30 साल गुजर गए लेकिन कांग्रेस आज तक यहां से नहीं जीती।
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विधानसभा 4
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▪️1985 में कांग्रेस के नंदलाल माटा ने भाजपा के श्रीवल्लभ शर्मा को 5500 वोटो से पराजित किया था।
▪️ इसके बाद इंदौर चार से हमेशा भाजपा का झंडा लहराता रहा।
▪️ भाजपा की लगातार जीत ने इंदौर – 4 को बना दिया मिनी अयोध्या ।
▪️2018 में नवागत शहर अध्यक्ष सुरजीत चड्ढ़ा को भाजपा की मालिनी गोड ने 30 से भी ज्यादा वोटो से हराया था।
▪️33 साल से कांग्रेस इंदौर चार की सीट जीतने का सपना देख रही है।
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विधानसभा – 5
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🔸 2003 से कांग्रेस की हार का सिलसिला प्रारंभ हुआ।
🔸 भाजपा के महेंद्र हार्डिया ने कांग्रेस की श्रीमती शोभा ओझा को 22000 मतों से पराजित किया था।
🔸 इसके बाद से ही कांग्रेस लगातार हारती रही।
🔸 20 साल से कांग्रेस यहाँ जीत की तलाश में है।
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सुरजीत को अध्यक्ष
बनाने का समीकरण
कोई नहीं समझ सका
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7 सालों तक शहर कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने वाले वरिष्ठ नेता स्वर्गीय उजागर सिंह चड्डा के पुत्र सुरजीत चड्ढा को पार्टी हाईकमान ने ऐसे समय अध्यक्ष नियुक्त किया है जब विधानसभा चुनाव सिर पर है। दो बार के पार्षद रहे सुरजीत चड्ढा को अध्यक्ष बनाकर का पार्टी ने शहर कांग्रेस को चौंका दिया। सुरजीत चड्ढा को किस समीकरण के तहत पार्टी ने चुना है यह तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही बता सकते हैं, लेकिन जीरो ग्राउंड पर उतर कर देखे तो शहर अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद के सामने उनका राजनीतिक कद छोटा है।कांग्रेसी बताते हैं कि राजनीति और सामाजिक स्तर पऱ अरविंद बागडी, सुरजीत से ज्यादा मजबूत है। फिलहाल सुरजीत के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं हालांकि पार्टी उन्हें सहयोग के लिए दो कार्यकारी अध्यक्ष देने पर विचार कर रही है।
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सुरजीत से 7 सवाल
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1. शहर काफी बढ़ गया है, चुनाव नजदीक है, कम समय में पूरे शहर को कैसे कवर करेंगे।
2. पहली बार बड़ा पद मिला है जिसे निभाना एक बड़ी जिम्मेदारी है, कैसे निभाएंगे जिम्मेदारी को।
3. अनुभव की कमी है, ऐसे में वरिष्ठ नेताओं की कैसे मदद लेंगे।
4. चुनाव नजदीक है ऐसे में सबको साथ लेकर कैसे काम करेंगे।
5. संपर्क सूत्र बढ़ाने के लिए क्या करेंगे।
6. मतदाताओं से अधिक से अधिक मिलने के लिए क्या रणनीति रहेगी
7. नाराज नेताओं कार्यकर्ताओं को कैसे मनाएंगे।
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