विपिन नीमा
इंदौर। कमलनाथ, दिग्विजयसिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच गजब का तालमेल था, इस तिकड़ी के कारण कांग्रेस मजबूुत दिशा की और बढ़ रही थी, लेकिन सिंधिया के पार्टी छोड़ते ही कांग्रेस की दशा – दिशा दोनों ही बदल गई। इसके बाद कमलनाथ और दिग्विजयसिंह की जोड़ी ने पार्टी फिर से मजबूत किया। इसी के चलते दोनों दिग्गजों ने पिछला विधानसभा चुनाव कंधे से कंधा मिलाकर लड़ा । चुनाव में भले ही सफलता नहीं मिली हो, लेकिन डटकर काम किया था। विधानसभा चुनाव की पराजय को भूलकर दोनों लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए।
पार्टी में सब कुछ अच्छा चल रहा था , लेकिन कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की खबरों से कांग्रेस को ऐसा झटका लगा की दिग्विजयसिंह और कमलनाथ की जोड़ी बिखरने जैसी हो गई। लोकसभा चुनाव में इन दोनो की ट्यूनिग केसे बैठेगी ये सबसे बड़ा सवाल है। फिलहाल कांग्रेस राहुल की यात्रा में व्यस्त हे। यात्रा के बाद ही कांग्रेस लोकसभा की तैयारियों में जुटेगी। जहां तक इंदौर की सीट का सवाल है तो इंदौर की सीट जीतने के लिए कांग्रेस 89 से इंतजार कर रही है। 89 में वरिष्ठ नेता व पूर्व गृहमंत्री प्रकाशचन्द्र सेठी के पराजित होने के बाद से लेकर अभी तक कांग्रेस इंदौर की सीट नहीं जीत सकी है।
पिछले 30 सालों में हुए चार लोकसभा चुनावों में भाजपा के दो प्रत्याशियों सुमित्रा महाजन और शंकर लालवानी ने कांग्रेस तीन प्रत्याशियों रामेश्वर पटेल, दो बार सत्यनारायण पटेल और पंकज संघवी को हराया है। अब पार्टी के सारे हरल्ले नेताओं को छोड़कर कांग्रेस की नजर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए बदनावर विधायक भंवरसिंह शेखावत पर है । ऐसा माना जा रहा है कांग्रेस शेखावत पर दांव खेल सकती है।
कांग्रेस ने कमलनाथ
को झटका दिया या
कमलनाथ ने कांग्रेस को
पार्टी छोड़कर इधर से उधर जा
ना राजनीति का एक हिस्सा है। अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की खबर ने राजनीति में हलचल मचा दी थी। यह मामला भले ही शांत हो गया हो, लेकिन एक रहस्य अभी बना हुआ है की आखिरकार कमलनाथ किसके कहने पर भाजपा में जाना चाहते थे। इस प्रकरण के साइट इफेक्ट अच्छे नहीं रहे। भले ही कमलनाथ कांग्रेस छोड़कर नहीं गए हो लेकिन पार्टी में उनकी इमेज जरुर प्रभावित हुई है। अब पार्टी में उनकी इमेज ऐसी हो गई है की कोई भी कांग्रेसी नेता दबी जुबान से यह कहने से नहीं चूक रहा है की कमलनाथ जी का कोई भरोसा नहीं है। वे कभी भी पलटी मार सकते है। आखिर यब बात समझ में नहीं आई की कमलनाथ ने कांग्रेस को झटका दिया या कांग्रेस ने कमलनाथ को। इसकी सच्चाई लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद ही सामने आएंगी।
अब साथ साथ नजर
नहीं आ रहे है दिग्विजय
और कमलनाथ
एक समय मप्र कांग्रेस के कमलनाथ, दिग्विजयसिंह और ज्योतिरादित्य जैसे मजबूत नेताओं की तिकड़ी थी, लेकिन पार्टी में आपसी फूट के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से नाराज होकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। सिंधिया के अलग होने के बाद कमलनाथ और दिग्विजय की जोड़ी बन गई। पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों की जोड़ी ने जोरदार काम किया था। चुनाव के बाद भी दोनों की जोड़ी पार्टी हित में अच्छा काम कर रही थी, लेकिन कमलनाथ ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की अटकलों ने पार्टी को उलझा दिया। इस घटना से दिग्विजयसिंह भी हतप्रद रह गए। आखिरकार कमलनाथ तो भाजपा में नहीं गए लेकिन उनकी जोड़ी में जरुर दरार आ गई। इस तरह कांग्रेस की तिकड़ी बिखर गई।
पांच सीट भी आ
गई दी तो बढ़ जाएगा
पटवारी का कद
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी पहले ही ऐलान कर चुके है की प्रत्याशियों का चयन राहुल गांघी की प्रदेश यात्रा के बाद किया जाएंगा। वैसे भी इस वक्त प्रदेश की किसी भी सीट के लिए कांग्रेस के पास ठोस नाम नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में कमलनाथ को छोड़कर दिग्विजयसिंह समेत सारे दिग्गज नेता हारकर बैठे हुए है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। पार्टी हाईकमान ने उन पर भरोसा जताकर पार्टी की कमान सौंपी है। अगर पटवारी ने कांग्रेस को 5 सीट भी दिलवा दी तो प्रदेश में बड़े नेताओं में उनकी गिनती होने लगेगी।
हरल्लों को छोड़कर
कांग्रेस शेखावत पर
दांव लगा सकती है
इस बार इंदौर में कांग्रेस का कौन सा प्रत्याशी भाजपा के प्रत्याशी को टक्कर देगा फिलहाल कुछ भी तय नहीं है, दोनों पार्टियो ने अपने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए है। इंदौर सीट के लिए कांग्रेस ऐसा प्रत्याशी तलाश रही है जो भाजपा से सीट छिन सके। विगत 30 साल से इंदौर की सीट , भाजपा के कब्जे में है।
कांग्रेस के अंदरखाने से जो जानकारी निकल कर आ रही है उसके मुताबिक कांग्रेस भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए अनुभवी भंवरसिंह शेखावत को उतारने पर विचार कर रही है। पूरी संभावना जताई जा रही है की कांग्रेस भंवरसिंह शेखावत पर दांव खेल सकती है। शेखावत राजनीति के पक्के खिलाड़ी है और वे राजनीति के हर दांव पेंच भी जानते है। फिलहाल वे बदनावर से विधायक है।