नई दिल्ली: आजादी के बाद जिस काँग्रेस नें गंगा की पवित्रता को बरकरार नहीं रखा, वह गंगा जल के नाम पर बोरिंग का पानी बाँट कर वितण्डावाद तो कर ही रही है, पवित्र गंगा का अपमान भी कर रही है।
खनिज विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष और भाजपा नेता गोविंद मालू ने कहा है कि दलितों की आरक्षित आठ सीटों को भी गंगा जल से धोने का कांग्रेस का अभियान उसे दलित विरोधी और छुआ-छूत समर्थक के रूप को उजागर कर रहा है।
मालू ने कहा कि काँग्रेस इस बहाने सौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली वाली कहावत भी चरितार्थ कर रही है, क्योंकि कौन नहीं जानता कि काँग्रेस ने आम्बेडकर को जीतने नही दिया और बाबू जगजीवनराम को काँग्रेस अध्यक्ष पद से हटाकर इंदिरा फ़िरोज गाँधी ने डॉ. शंकरदयाल शर्मा को काँग्रेस अध्यक्ष बनाकर उनका अपमान किया, उन्हें वोट बैंक समझती रही तो, दुःखी होकर 1977 को उन्हें काँग्रेस छोड़ना पड़ी।तमिलनाडू के दलित नेता गग्गन और 1998 में काँग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी के साथ हुए अपमान और अन्याय को इतिहास नहीं भूल सकता।काँग्रेस को दलित नहीं डील (सौदों) की चिंता है।
आपने कहा कि पहले तो काँग्रेस के सिखों और बहुसंख्यक के खून से हाथ सने होने से वह गंगा जल से खुद के पाप धोए फिर गंगा जल को छुए।
आपने कहा प्रदेश की जनता तो खुद ही काँग्रेस से मुक्ति के शुद्धिकरण अभियान में लगी है।