इंदौर : मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया कि देश में मध्यप्रदेश में कोरोना के इलाज में उपयोग में आने वाले रेमड़ेसिविर इंजेक्शन के नकली व कालाबाजारी के मामले सर्वाधिक सामने आए हैं। प्रदेश में बड़ी संख्या में इसके दोषियों के खिलाफ रासुका से लेकर तमाम कार्रवाई भी की गई है।
यह भी देखने में आया है कि भोपाल,जबलपुर,रतलाम व इंदौर में भाजपा व उसके नेताओं से जुड़े लोगों के नाम बड़ी संख्या में जीवन रक्षक दवाइयों व उपकरणो की कालाबाजारी में सामने आए हैं। मुख्यमंत्री कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि ऐसे नरपिशाचों को क़तई बख्शा नहीं जाएगा ,उनके ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी। बात करें इंदौर की तो इंदौर में भी बड़ी संख्या में इस इंजेक्शन के अभाव में लोगों ने दम तोड़ा है , इसको लेने के लिए लोग कई-कई दिनों तक लंबी लाइनों में दुकानों के बाहर खड़े रहे ,दर दर भटकते रहे।इसकी सबसे ज़्यादा कालाबाज़ारी इंदौर में ही हुई है।
रेमड़ेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में कल पकड़ाए जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पूर्णिमा गडरिया के ड्राइवर पुनीत अग्रवाल , जिसकी भाजपा से जुड़े होने की कई तस्वीरें भी सामने आई है , ने खुलेआम यह स्वीकारा है कि उसे कालाबाजारी में बेचने के लिए यह इंजेक्शन मंत्री तुलसी सिलावट के परिवार के ड्राइवर गोविंद राजपूत ने 14 हज़ार रुपये में दिए थे , उसने यह भी स्वीकारा कि उसने कई बार मंत्री के ड्राइवर से इंजेक्शन लोगों को दिलवाए हैं। इस खुलासे के बाद कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला द्वारा पिछले कई दिनों से लगाए जा रहे आरोपों की पुष्टि स्वतः हो रही है।
सलूजा ने कहा कि इस पूरे खुलासे व मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह , मंत्री तुलसी सिलावट को तत्काल मंत्री पद से हटाए , इंदौर के प्रभारी मंत्री के दायित्व से भी मुक्त करें , साथ ही इंदौर के जिला स्वास्थ्य अधिकारी के ड्राइवर के पकड़े जाने के बाद उनको भी पद से हटाया जाये। मंत्री के ड्राइवर से भी पूछताछ हो और उस पर भी कड़ी कार्रवाई हो।
इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की घोषणा हो , मंत्री व जिला स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका की भी विस्तृत रूप से जांच हो , मुख्यमंत्री व भाजपा नेतृत्व सामने आकर इस पूरे मामले में स्पष्टीकरण दे , कांग्रेस यह माँग करती है। मुख्यमंत्री व गृहमंत्री कई बार कह चुके हैं कि ऐसे नरपिशाचों को , चाहे वह कितना भी बड़ा रसूखदार हो ,बख्शा नहीं जाएगा।यह निर्दोष लोगों की मौत के दोषी हैं , उस हिसाब से इस पूरे मामले के खुलासे के बाद ,दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होना चाहिए।
साथ ही इस बात की भी जांच होना चाहिए कि इंदौर में कुल कितने रेमड़ेसिविर इंजेक्शन अभी तक आए ,किसको कितने मिले ,कैसे इनका वितरण हुआ और इन जिम्मेदार लोगों के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन कहां से पहुंचे ?जिनसे लेकर इनके नौकर, ड्राइवर इसे कालाबाजारी के रूप में बेच रहे हैं। इनके द्वारा बेचे गए इंजेक्शन नकली है या असली ,इस बात की भी जांच होना चाहिए।