चार नंबर की सीट निकालने के लिए कांग्रेस ने कई चेहरे बदले

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कांग्रेस ने इनको आजमाया

▪️इक़बाल खान▪️उजागर सिंह ▪️ ललित जैन ▪️ गोविंद मंघानी ▪️सुरेश मिण्डा ▪️सुरजीत चड्डा

85 से 2018 के बीच 8 चुनाव

भाजपा ने 7 जीते
कांग्रेस -ने एक ही जीता

गौड परिवार के 6 चुनाव

▪️ लखन दादा ने 3 चुनाव लड़े, तीनो ही जीते
▪️ मालिनी ने भी 3 चुनाव लड़े, तीनों जीते

क्या कांग्रेस भी मालिनी के सामने महिला प्रत्याशी को उतारेगी?

इंदौर। चौथी सूची जारी होने से पहले बड़े-बड़े राजनीतिक विशेषज्ञ अपनी टिप्पणियों में बार-बार इस बात का जिक्र करे थे कि इस बार इंदौर विधानसभा – 4 की विनिंग कैंडिडेट मालिनी गोड का टिकट बदलकर या तो उनके पुत्र एकलव्य को दिया जाएगा, या फिर सांसद शंकर लालवानी और मंत्री उषा ठाकुर में से किसी एक को टिकट दिया जाएगा, लेकिन पार्टी हाईकमान ने मालिनी गोड को टिकट देकर सारे राजनीतिक विशेषज्ञों के समीकरण बिगाड़ दिए । मालिनी गोड को टक्कर देने के लिए कांग्रेस की तरफ से कौन आएगा इसका फैसला अभी नहीं हुआ है। जो भी आएगा मुकाबला रोचक होगा।

विधानसभा – 4 का नाम ऐसे पड़ा मिनी अयोध्या

वर्तमान में विधानसभा एक से चुनाव लड़ रहे हैं भाजपा के वरिष्ठ नेता, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपना पहला चुनाव इसी क्षेत्र से लड़ा था। हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान पारिवारिक कारणों से कैलाश विजयवर्गीय के प्रचार की कमान लखन दादा ने ही संभाली थी। इसके बाद लखन दादा ने इस जीत को आगे बढ़ाया और लगातार जीत पे जीत दिलाकर विधानसभा चार को इतना मजबूत कर दिया है यह क्षेत्र भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ बन गया। बाद में यह यह क्षेत्र मिनी अयोध्या के नाम से जाना जाने लगा। आज यह क्षेत्र “लखन दादा की अयोध्या” के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र से लखन दादा ने तीन चुनाव जीते हैं।

लखन दादा के जाने के बाद मालिनी ने संभाली क्षेत्र की कमान

इसको क्या पता था कि लखन दादा मिनी अयोध्या को बीच में ही छोड़कर चले जाएंगे,लेकिन उनके चले जाने के बाद उनकी पत्नी मालिनी गौड राजनीति के मैदान में उतरी और पार्टी हाई कमान ने पहली बार में ही टिकट देकर विधायक की सीट जीती। इसके बाद 2013 और 2018 का चुनाव जीतकर जीत की हेट्रिक बनाई । इसी बीच दो साल पहले विधायक मालिनी ने महापौर का चुनाव जीतकर के पहली बार महापौर बनी। उन्होंने अपने महापौर कार्यकाल में स्वच्छता में इंदौर को बड़ी सफलता दिलवाने में अहम भूमिका निभाई । मालिनी का ये चौथा चुनाव है।

चार नंबर जीतने के लिए कांग्रेस ने हर बार नया प्रत्यक्ष उतारा

विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 की सीट निकालने के लिए कांग्रेस को सालों से संघर्ष करना पड़ रहा है। चार नंबर के सीट पर भाजपा का इस कदर कब्जा हो गया है जैसे यहां से कोई लड़ने वाला ही नहीं है। हालांकि 4 नंबर सीट पर भाजपा का कब्जा तोड़ने के लिए कांग्रेस ने हर चुनाव में नए-नए प्रत्याशी विधान उतरे हैं, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। आज भी चार नंबर की सीट भाजपा के पास में ही है। इस बार भी कांग्रेस, मालिनी गौड के सामने नया चेहरा उतारने की तैयारी में है। अब देखना यह है कि मालिनी के सामने कांग्रेस महिला प्रत्याशी को खड़ा करती है या कोई नया चेहरा लेकर आती है।

8 चुनावों का हार जीत के आंकड़े

1985
नंदलाल माटा – 29822
श्री वल्लभ शर्मा – 26021
जीत का अंतर – 3801

1990
कैलाश जी – 48413
इकबाल खान – 22811

जीत का अंतर – 25602

1993
लक्ष्णसिंह गौड – 70324
उजागरसिंह – 42215

जीत का अंतर – 28109

1998
लखन गोड – 65137
गोविन्द मंघानी- 42215

जीत का अंतर – 22922

2003
लखन गौड़ – 107015

ललित जैन – 61390
जीत का अंतर – 45625

2008
मालिनी गौड – 63920
गोविन्द मंघानी – 35877

जीत का अंतर – 28043

2013
मालिनी गोड़ – 91998
सुरेश मिण्डा – 58175

जीत का अंतर – 33823

2018
मालिनी गौड – 102673
सुरजीत चडडा – 59583

जीत का अंतर – 43090