भोपाल – मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कल संपन्न मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल की कैबिनेट बैठक में सिंचाई परियोजना में कमीशन व हिस्से के बंटवारे को लेकर सामने आई भिड़ंत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि माल बंटवारे को लेकर कल मुख्यमंत्री व मंत्रीगण आपस में खूब भिड़े , कैबिनेट की बैठक अखाड़ा बन गयी , वरिष्ठ अधिकारियों की जमकर बेज्जती की गयी व जमकर लू उतारी गयी और तमाम विरोध के बावजूद तीन सिंचाई परियोजनाओं को तकनीकी रूप से एवं नियम विरुद्ध होने के बावजूद व बजट प्रावधान नहीं होने के बावजूद भी कैबिनेट में मंजूरी दी गई ?
सलूजा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से सवाल पूछते हुए कहा कि वह बतायें कि मंत्रीगण नरोत्तम मिश्रा ,गोपाल भार्गव व अन्य मंत्रियों की कड़ी आपत्ति के बावजूद इन सिंचाई परियोजनाओं में ऐसा क्या मीठा है ,जो तकनीकी रूप से गलत होने के बावजूद ,नियम विरुद्ध होने के बावजूद व बजट नहीं होने के बावजूद इन्हें छूट की मंजूरी दी गई , इनके टेंडर का अनुमोदन किया गया ? प्रदेश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा कि जिस प्रस्ताव का कैबिनेट में मंत्रियों ने ही कड़े रूप से विरोध दर्ज कराया ,उसके बाद भी विरोध को दरकिनार कर उन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई ,यह बात अलग है कि मंत्रियो का विरोध कोई प्रदेश हित में नहीं था , सिर्फ़ अपने हिस्से- बँटवारे को लेकर यह लड़ाई थी ?
जब यह बात भी सामने आई कि जो तीन टेंडर मंजूरी के लिये आये हैं ,उसमें 90% काम पाइप खरीदी का है और पाइप खरीदी में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की बात भी इस केबिनेट में सामने लायी ,यह बात भी सामने आई कि पहले बांध का काम पूरा होने दिया जायें तो उसके बाद भी क्या कारण रहा कि इन परियोजनाओं को ताबड-तोड़ मंजूरी दी गई ? यह सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश में सिर्फ घोषणाएं होती है ,26 हज़ार करोड़ के सिंचाई परियोजनाओं के प्रोजेक्ट मंजूर हो चुके हैं ,वर्ष 2024 तक नर्मदा जल समझौता के पानी का उपयोग करना है और यह भी सभी जानते हैं कि इतने कम समय में यह योजनाएँ कभी पूरी नहीं हो सकती ?
इंदौर-सांवेर माइक्रो सिंचाई परियोजना जो कि 3046 करोड़ की है ,वहीं दूसरी परियोजना चिंकी-बोरोस बोरा परियोजना है जिसका बजट 5083 करोड रुपए हैं और अपर नर्मदा परियोजना का प्रस्ताव रखा गया और यह दोनों तीनों प्रोजेक्ट 10369.27 करोड़ के लगभग के हैं।
यह बात भी सामने आ रही है यह दोनों प्रोजेक्ट किसी मनपसंद कंपनी को देने की शिवराज सरकार की पूरी तैयारी है और इसको लेकर भारी कमीशन का खेल भी हो चुका है ,बाक़ी लोग भी अपना हिस्सा व कमीशन चाहते है , इसलिये उन्होंने विरोध किया और तमाम विरोध व आपत्तियों को दरकिनार कर इनको मंजूरी दी गई है ?
यह भी सभी को पता है कि नर्मदा घाटी विकास विभाग के लिए सूचकांक 5 है और सूचकांक के अनुसार ही विभाग उपलब्ध बजट के आधार पर प्रशासनिक स्वीकृति और निविदा जारी करते हैं।इस हिसाब से विभाग उपलब्ध बजट के पाँच गुना तक प्रशासकीय स्वीकृति और तीन गुना तक निविदा आमंत्रित कर सकता है ? सीमा से अधिक के निविदा जारी करने पर भुगतान से लेकर अन्य समस्याएं बाद में आती है लेकिन इन परियोजनाओं को नियम विरुद्ध सूचकांक से छूट दी गई ?
सलूजा ने कहा कि मंत्री नरोत्तम मिश्रा कैबिनेट में उनके विरोध को दरकिनार कर इन परियोजनाओं को मंजूरी देने के बाद अपनी शिकायत लेकर प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे।वहां उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सहित प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री के समक्ष भी अपनी शिकायत दर्ज कराई।
प्रदेश भाजपा नेतृत्व स्पष्ट करें कि मंत्री नरोत्तम मिश्रा की शिकायत पर उन्होंने क्या कदम उठाया ? इस खुल्लम-खुल्ला भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से कोई स्पष्टीकरण लिया है क्या ?
यह सारी बातें मुख्यमंत्री व भाजपा नेतृत्व को सामने आकर स्पष्ट करना चाहिए ?
एक तरफ़ कोरोना के संकट का दौर चल रहा है ,आर्थिक व्यवस्था ध्वस्त है और ऐसे में करोड़ों रुपए की इन परियोजनाओं को जिस तरह से ताबड़तोड़ तरीके से ,नीतिगत नियमों के विरुद्ध व तमाम विरोध को दरकिनार कर मंजूरी दी गई है ,वह अपने आप में ख़ुद सवाल खड़े कर रहा है ?
कांग्रेस इस मामले में चुप नहीं बैठेगी।