नेता सावरकर के नाम पर होगा दिल्ली यूनिवर्सिटी में कॉलेज, मिली मंजूरी

Akanksha
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नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदू महासभा के नेता रहे विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर कॉलेज बनेगा। बता दें कि, इनके नाम के प्रस्ताव को दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल ने मंजूरी दे दी है। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली के नाम पर भी कॉलेज-सेंटर्स के नाम रखें जाएंगे।

आपको बता दें कि, दिल्ली यूनिवर्सिटी एकेडमिक काउंसिल की बुधवार को बैठक हुई थी। इस बैठक में नए संस्थानों के नामों को मंजूरी दी गई है। साथ ही बैठक में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे भाजपा के प्रमुख नेताओं के नाम शामिल हैं। माना जा रहा है कि सावरकर समेत भाजपा के इन नेताओं के नाम पर कॉलेजों के नाम रखने के दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस फैसले के बाद नया विवाद पैदा हो सकता है। बता दें कि, काउंसिल में जिन नामों पर मंजूरी मिली है, उनमें देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश और प्रसिद्ध दलित नेता ज्योतिबा बाई फुले के नाम भी शामिल हैं।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर पी सी जोशी ने इस बात की पुष्टि की है। इस फैसले का बचाव करते हुए पीसी जोशी ने कहा कि, जिन नामों को मंजूरी मिली है, उन्हें समाज में उनके योगदान के आधार पर प्रस्तावित किया गया था। उन्होंने बताया कि तय प्रक्रिया का पालन करते हुए काउंसिल ने इन्हें मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में दो नए कॉलेज खुल रहे हैं। पहला कॉलेज दक्षिणी दिल्ली के भाटी गांव में खुलेगा। वहीं दूसरा कॉलेज बाहरी दिल्ली के नजफगढ़ गांव के पास रौशनपुरा में खुलेगा।

उन्होंने बताया कि, इन दो कॉलेजों के अलावा चार सुविधा केंद्र भी खोले जाएंगे। चार नए केंद्रों में से दो केंद्र दोनों नए कॉलेजों के कैंपस में खुलेंगे। जबकि अन्य दो केंद्र उत्तरी दिल्ली की शाहबाद डेयरी और पूर्वी दिल्ली क्षेत्र में खुलेंगे। इन कॉलेजों और केंद्रों के अलावा, पूर्वी दिल्ली में एक नए लॉ कैंपस की योजना बनाई जा रही है। प्रोफेसर पी सी जोशी ने काउंसिल के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, वे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे और अगर आप अंडमान और निकोबार जाएंगे, तो सेलुलर जेल आज भी वहीं है, जहां उन्हें सालों तक रखा गया। उन्होंने कहा, मैं भी वहां गया था और मैंने स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के बारे में महसूस किया।