जबलपुर: मप्र में दशहरा से बिजली कटौती जैसे हालात न बने इसकी चिंता शुरू हो गई है. कोयले की सप्लाई अटकने की वजह बिजली इकाईयों में उत्पादन कम हो गया है. कोल कंपनियां पिछला बकाया वसूलने पर जोर दे रही है. ऐसे में प्लांट में कोयले की सप्लाई घटा दी गई है. इधर बिजली कंपनी का दावा है कि पूरे देश में कोयले का संकट है. इसके बावजूद मप्र में कोयला दूसरें प्रदेशों में तुलना में ज्यादा मिल रहा है. शनिवार को मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के प्रबंध संचालक ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. उन्होंने कोयले के लिए तत्काल 850 करोड़ रुपये की मांग की.
कंपनी प्रबंधन के अनुसार हालात चिंताजनक है. यदि कोयले की उपलब्धता जल्द सुनिश्चित नहीं हुई तो प्रदेश में बिजली कटौती का दौर आ सकता है. अभी देश के कर्नाटक,राजस्थान और पंजाब में बिजली कटौती प्रारंभ हो चुकी है. कोयले की सभी लगभग सभी राज्यों में बनी हुई है. मप्र में कोयले से करीब 5400 मेगावाट बिजली का उत्पादन क्षमता है लेकिन कोयला कम होने के कारण इकाईयां कुछ बंद है जो चल रही है उन्हें आधे लोड पर सिर्फ चलाया ही जा रहा है. ऐसे में करीब 2400 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है.