इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में लोकायुक्त पुलिस ने सोमवार को एक सीनियर को-ऑपरेटिव इंस्पेक्टर को रंगे हाथों पकड़ा गया। दरअसल यह एक सीनियर को-ऑपरेटिव रिश्वत ले रहा था और इसी दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। आपको बता दें कि, एक सीनियर को-ऑपरेटिव जो सहकारिता विभाग के सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन का इंचार्ज यह इंस्पेक्टर इंदौर के भूमाफियाओं का सबसे चहेते चहरो में से एक है। दरअसल, जिन गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों में गड़बड़ियां हुई है, उनमे से अधिकांश का काम इसी के पास रहा है।
इसी कड़ी में लोकायुक्त पुलिस को इंदौर की एक सहकारी संस्था तिलक सहकारी साख संस्था के अध्यक्ष दिलीप बौरासी ने शिकायत की थी। शिकायत यह थी कि सीनियर को-ऑपरेटिव इंस्पेक्टर प्रमोद तोमर संस्था में गड़बड़ी बता कर कार्रवाई की धमकी दे रहे है। साथ ही बताया गया कि, कार्रवाई ना करने के एवज में उन्होंने रुपए की मांग की है। वहीं इस मामले में तुरंत एक्शन लेते हुए लोकायुक्त डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल ने योजनाबध्द तरीके से संस्था अध्यक्ष बोरासी को रिश्वत की आंशिक राशि दस हजार रुपए लेकर भेजा। वहीं जब तोमर ने रिश्वत की राशि लेकर जेब में रख ली उसी वक्त टीम ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया।
आपको बता दें कि, सीनियर इंस्पेक्टर प्रमोद तोमर को सहकारिता विभाग का सबसे वजनदार अधिकारी माना जाता है। वहीं इसके पीछे जिले के वो दमदार भूमाफिया भी है जिनका सीधा कनेक्शन सहकारिता विभाग के इसी सेक्शन से जुड़ा है। इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) ने जब अपनी योजनाओं का विस्तार किया तब उन योजनाओं की जद में काफी संख्या में गृह निर्माण संस्थाओं की जमीने आ गई।
जब आईडीए (IDA) ने ऐसी संस्थाओं के साथ संकल्प अनुबंधित कर लिया। जिसमे पता चला कि, ऐसे 46 संस्थाएं है जिन्होंने संकल्प अनुबंधित किया था जिसमे से तीन संस्थाओं ने बाद में अनुबंध निरस्त करवा लिया। बचे हुए 43 संस्थाओं को समय समय पर आईडीए से प्लाटों का आवंटन हुआ लेकिन 20 गृह निर्माण संस्था ऐसी है जिनके 913 सदस्यों के भूखंड आईडीए में फंसे हुए है।