Haryana HRKN Employees Permanent : नायब सिंह सैनी सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले किए गए अपने वादे को निभाते हुए “हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक, 2024” को पारित किया है। इसके तहत, 1.20 लाख कच्चे कर्मचारियों की नौकरी अब सेवानिवृत्ति तक पक्की हो गई है।
सेवानिवृत्ति तक नौकरी की सुरक्षा
इस विधेयक के तहत, पांच साल से अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरी अब 58 साल की आयु तक सुरक्षित रहेगी। सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों और स्वायत्त संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारी, जिनका मासिक वेतन 50,000 रुपये तक है, अब स्थायी नौकरी के हकदार होंगे।
सामाजिक और आर्थिक लाभ
विधेयक से खासतौर पर HKRN (हरियाणा कौशल रोजगार निगम) में कार्यरत कर्मचारियों को फायदा होगा, जिनमें 28% कर्मचारी अनुसूचित जाति से और 32% कर्मचारी पिछड़ा वर्ग से हैं। सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि 50,000 रुपये से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों के लिए भी इस कानून के तहत सुरक्षा उपाय लागू किए जाएंगे।
विधेयक में प्रमुख प्रावधान
- सेवानिवृत्ति तक नौकरी की गारंटी: 15 अगस्त 2024 तक पांच साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को स्थायी रोजगार मिलेगा।
- वेतन में वृद्धि: महंगाई भत्ते और सालाना वेतन वृद्धि की व्यवस्था।
- स्वास्थ्य और ग्रेच्युटी लाभ: कर्मचारियों को मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मातृत्व लाभ मिलेगा।
- स्वास्थ्य सेवाएं: कर्मचारियों के परिवारों को पीएम-जन आरोग्य योजना से स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
- वेतन वृद्धि: पांच साल से अधिक सेवा वाले कर्मचारियों को 5%, आठ साल से अधिक सेवा वाले कर्मचारियों को 10% और दस साल से अधिक सेवा वाले कर्मचारियों को 15% अधिक वेतन मिलेगा।
CM का संदेश
मैं प्रदेश के मेरे सभी 1.20 लाख कच्चे कर्मचारियों को पक्का होने पर बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
आज आपके हितों की रक्षा के लिए लोकतंत्र के मंदिर में विधेयक पारित हो गया है। pic.twitter.com/fkZGEEOcTc
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) November 18, 2024
सीएम नायब सिंह सैनी ने इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए सभी कर्मचारियों को बधाई दी और कहा कि इस विधेयक से उनके भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि “अंधेरा घना है तो दीप जलाना कहां मना है”, आज इस विधेयक के माध्यम से गरीब से गरीब घर में भी नौकरी का अवसर मिल रहा है। हालांकि, 50,000 रुपये से अधिक मासिक वेतन पाने वाले और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत कार्यरत कर्मचारी इस नए कानून के दायरे में नहीं आएंगे।