इंदौर 28 अगस्त 2020: इंदौर हिंदुस्तान का अद्भुत शहर है। यहां की परंपरा और संस्कृति की एक अलग पहचान है। अब यहां की जनता देश को स्वच्छता की परंपरा और स्वभाव सीखा रहा है। इंदौर की जनता ने न सिर्फ शहर का नाम दुनिया में रोशन किया बल्कि अपने नाम और काम को दुनिया के सामने रखा है। ऐसा एक बार नही लगातार चौथी बार किया है। यह कार्य सरकार के प्रयास से नही जनता से ही हो सकता है। देश में ट्रेंचिंग ग्राउंड का विरोध होता है, लेकिन यहां ट्रेंचिंग ग्राउंड पर नंदन वन बना दिया है, ऐसा कही नही होता। यह बात मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इंदौर के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर गीले कचरे के निष्पादन के लिए 550 टीडीपी बायोमेथेनाइजेशन प्लांट का शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान भी इंदौर सेवा का दायित्व सिखाया है। यहां की जनता ने मजदूरों और प्रवासियों की जो सेवा की है वो विश्व मे मिसाल बन गई है।
कार्यक्रम के स्वागत संबोधन में विधायक मालिनी गौड़ ने कहा कि प्रथम चरण में 200 टन और द्वितीय चरण में 500 टन गीले कचरे का निष्पादन पीपीपी मोड़ के तहत किया जाएगा। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर मुख्यमंत्री चौहान ने बरगद का पौधा भी रोपा। कार्यक्रम में जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, सांसद शंकर लालवानी, कैलाश विजयवर्गीय, विधायक आकाश विजयवर्गीय, महेंद्र हार्डिया, रमेश मेंदोला, सुदर्शन गुप्ता, मनोज पटेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
ऐसी होगी एशिया की सबसे बड़ी वेस्ट से वेल्थ कचरा निपटान पद्धति
लगातार चार वर्षों से देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का यह अनोखा और अद्भुत सार्थक प्रयास है। जहां कभी गंदगी इस कदर फैली थी कि इसके आसपास के 2-2 किमी तक कोई गुजरना पसंद नही करता था। आज यहां उत्पादित बेहतरीन और उपजाऊ उर्वरक युक्त मिट्टी को इस ग्राउंड पर बिछाया गया है। इस पर सुंदरता का घना जंगल सबका मन मोह रही है। आईईआईएसएल नई दिल्ली के साथ ही जॉइंट वेंचर के रूप में जर्मनी की कंपनी प्रोवेप्स इंविरोटेक इस प्लांट की स्थापना में योगदान देगी। कंपनी द्वारा प्लांट की स्थापना पर लगभग 150 करोड़ रुपए व्यय करेगी। प्लांट का कार्य पूर्ण हो जाने पर शहर से निकलने वाले 550 टन गीले कचरे का पर्यावरण हितैषी निपटान होने के साथ ही नगर निगम की आय का स्त्रोत भी होगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अवधारित किया गया यह प्लांट वेस्ट से वेल्थ कचरा निपटान पद्धति में एशिया का सबसे बड़ा प्लांट होगा। संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने इस प्लांट का लोकर्पण देश के प्रधानमंत्री मोदी के हाथों कराने की बात भी कहीं। इस प्लांट की स्थापना पर नगर निगम को कोई वित्तीय भार वहन नही करना है। वही दूसरी ओर इस प्लांट को स्थापित करने वाली कंपनी द्वारा नगर निगम को 20 वर्षों तक 25250000 प्रतिवर्ष प्रीमियम के रूप में अदा करेगी।
ट्रेंचिंग से पैदा होने वाली गैस से चलेंगे निगम के वाहन
इंदौर शहर के सूखे और गीले कचरे के मेथेनाइजेशन के आत्म निर्भर भारत की दिशा में स्थापित होने वाले इस प्रोजेक्ट से प्रतिदिन 17500 किलोग्राम सीएनजी गैस उत्पादित होगी। इसमे से 8750 किलोग्राम सीएनजी गैस मार्केट रेट से 5 रुपए प्रति किलोग्राम कम दर पर नगर निगम इंदौर को उपलब्ध होगा। प्रतिदिन प्राप्त होने वाली गैस से एआईसीटीएसएल द्वारा संचालित परिवहन सेवा को संचालित करने में उपयोग होगा। यानी यह प्रोजेक्ट बहुउद्देशीय साबित होने वाला है। क्योंकि इसी प्लांट से शहर की वायु गुणवत्ता में भी बहुत हद तक सुधार होगा। बायोमेथेनाइजेशन प्लांट की स्थापना के साथ पूर्व में स्थापित सूखे कचरे के निपटान के लिए 300 और 200 टन मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी प्लांट-1 और प्लांट-2 से नगर निगम को हर वर्ष 4.15 करोड़ रुपए की आय होगी। इस आय से इस देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड के संचालन व संधारण कार्य मे व्यय होने वाली राशि की पूर्ति होगी।