शहर तुझे लंगड़ी, लूली, गूंगी, बहरी कमिश्नर मुबारक हो- नितेश पाल

Akanksha
Published on:

तेजी से क्राइम में आगे बढ़ रहे इंदौर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुस्से के बाद गुरूवार को पुलिस कमिश्नरी मिल गई। बरसों से इसकी मांग शहर कर रहा था, लेकिन अब जब जाकर ये लागू हुई है तो भी केवल नाम की ही है। बीते माह जब लखनऊ में डीजीपी कांफ्रेस के दौरान प्रधानमंत्री के सवालों की बौछार मप्र पर हुई थी उसके बाद इसे लागू करने के लिए सरकार राजी हो गई थी। और अचानक ही कमिश्नरी लागू करने की घोषणा कर दी गई। लेकिन गुरूवार को राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री और शहर की जनता के साथ खेला कर दिया। जो कमिश्नरी लागू की वो देश के प्रधानमंत्री और शहर की 30 लाख जनता के साथ एक धोखा भर ही है।

ALSO READ: डरा रहा OMICRON: एक दिन में आ गए दुगने मरीज, सच साबित हुआ प्रधानमंत्री का कहा

इंदौर पुलिस कमिश्नर गुंडों को बांड ओवर कर सकता है, लेकिन उन्हें सीधा जेल नहीं भेज सकता है, क्योंकि ये अधिकार आइपीसी की धारा 151 का है और वो इंदौर पुलिस को नहीं दी गई है। इंदौर पुलिस कमिश्नर गुंडे को जिलाबदर तो कर सकता है लेकिन किसी पर रासूका नहीं लगा सकता है। रासूका कलेक्टर ही लगाएगा। अपराधों में इस्तेमाल होने वाले हथियार या बारूद को नियंत्रण करने के लिए उसके पास लाइसेंस का अधिकार नहीं होगा। किसी अपराधी के भाग जाने या सामने नहीं आने पर उसकी संपंत्ति कुर्की का भी अधिकार पुलिस के पास नहीं रहेगा। जिस समस्या से एक आम इंदौरी रोजाना परेशान होता है वो है सड़क पर अतिक्रमण की समस्या। कमिश्नर सड़क पर यातायात की तो व्यवस्था करवाएगा, लेकिन उस पर अतिक्रमण वो नहीं हटवा सकता है।

जबकि शहर में होने वाले 60 फीसदी छोटे अपराधों का मूल कारण अतिक्रमण ओर उसको लेकर होने वाले विवाद ही हैं। इंदौर पुलिस कमिश्नर कोई भी फैसला खुलकर नहीं ले सकेगा। अभी भी गुंडों को बचाने के लिए प्रशासन की गली मौजूद रहेगी। राज्य सरकार ने जंग में सिपाही को भेजा तो है लेकिन कम दूरी से मार करने वाली बंदूक देकर, उसे लडऩे के लिए गोलियां भी गिनती की ही मिली है। ये सब कहीं कमिश्नरी की बरसों से उठने वाली मांग को ही खत्म करने के लिए किया गया खेल ज्यादा लग रहा है। क्योंकि कमिश्नरी लागू होने पर अधिकारियों की भीड लगाकर पैसों का खर्चा भी कर दिया जाएगा। लेकिन अधूरी ताकत से उतरी फौज के समान जल्द ही इसे फेल घोषित करते हुए पुरानी व्यवस्था लौटा दी जाए। जिस तरह से एसएसपी सिस्टम को फेल कर दिया गया था। उसी तरह के हालात कमिश्नरी के साथ भी करने की तैयारी की जा रही है।
बाकलम – नितेश पाल