इंदौर : अगले साल होने वाले सफाई सर्वेक्षण में शुद्ध हवा को प्राथमिकता देने के कारण अब शहरी क्षेत्र में नगर निगम को सिटी फारेस्ट बनाना पड़ेंगे। नजूल की जमीनों पर गार्डन बनाए जाएंगे, ताकि शुद्ध हवा के लिए इंदौर बेहतर बन सके। शुद्ध हवा की सबसे ज्यादा दिक्कत पुराने इंदौर में है। राजवाड़ा से लेकर मरीमाता, जिंसी, सुभाष मार्ग, मालगंज, नृसिंह बाजार, बंबई बाजार, बियाबानी जैसे सघन और व्यवसायिक इलाकों में हरियाली पांच फीसदी भी नहीं है।
अब इन इलाकों में नगर निगम नजूल की जमीनें लेकर हरियाली का इंतजाम करेगा। एमओजी लाइन जैसे बड़े इलाके में नगर निगम सीमेंट-कांक्रीट के जंगल खड़ेे कर रहा है, वहां पर चालीस पंद्रह मंजिला मल्टी स्टोरियां बनेंगी, जो आबोहवा के हिसाब से गलत है। पुराने इंदौर में नगर निगम के बगीचे भी कम हैं। नगर निगम ने सिटी फारेस्ट के नाम पर अभी तक शहर से दूर पितृ पर्वत और बिचौली हप्सी में हरियाली का इंतजाम किया, जबकि उन दोनों इलाकों में तीस फीसदी से ज्यादा हरियाली पहले से थी। अब नगर निगम के अफसर प्लानिंग कर रहे हैं कि शहरी क्षेत्र में दस हजार फुट से लेकर जितनी भी जगह नजूल की मिलेगी, वहां पर पौधे लगाए जाएंगे।
किला मैदान गुटकेश्वर महादेव मंदिर के पीछे वाली जमीन पर भी सिटी फारेस्ट बनाने की बात कही जा रही है। वीआईपी रोड को ग्रीन कॉरिडोर के रूप में बनाने की बात कही गई है। शहरी क्षेत्र में शुद्ध हवा के लिए सिटी बसें सिर्फ सीएनजी गैस वाली ही चलाने की योजना है। डीजल गाडिय़ों और बढ़ते हुए ट्रैफिक को देखते हुए पुराने इंदौर में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है। मध्यप्रदेश प्रदूषण बोर्ड ने भी पुराने इंदौर में पौधे लगाने की बात कही है। इंदौर में पंद्रह साल पुरानी खास तौर डीजल गाडिय़ों को बंद कराने की बात केंद्र सरकार के नए कानून के अनुसार कही जा रही है।