सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए शोविक ने तीसरी बार दायर की जमानत याचिका

Ayushi
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सुशांत सिंह के जाने के बाद ड्रग्स मामले में गिरफ्तार हुए शोविक चक्रवर्ती अभी तक जेल की सलाखों के पीछे ही है। रिया को कब से जमानत मिल चुकी हैं लेकिन शोविक को नहीं मिली है। अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक हालिया आदेश का हवाला देते हुए यहां एक विशेष अदालत में एक बार फिर जमानत याचिका दायर की है। जैसा की आपको पता है शोविक को एनसीबी ने ड्रग्स कनेक्शन के चलते गिरफ्तार किया था। लेकिन उन्हें अभी तक जमानत नहीं दी गई है। ये शोविक की तीसरी कोशिश है जमानत याचिका की। इसके पहले जितनी भी याचिका शोविक द्वारा लगाई गई है उसे ख़ारिज कर दिया गया था।

जानकारी के मुताबिक, हाल ही में शोविक ने नार्कोटिक्स नियंत्रण एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम संबंधी मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के समक्ष याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने शीर्ष अदालत के हालिया आदेश का जिक्र किया। जिक्र करते हुए कहा है कि एनसीबी अधिकारियों के समक्ष दिए गए इकबालिया बयानों’ को सबूत नहीं माना जा सकता। वहीं शोविक ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया आदेश में यह उचित फैसला सुनाया कि एनडीपीसी कानून के तहत जिन अधिकारियों को अधिकार दिए गए हैं, वे पुलिस अधिकारी हैं, जो साक्ष्य कानून की धारा 25 के दायरे में आते हैं।

परिणामस्वरूप उनके सामने दिए गए इकबालिया बयान पर एनडीपीएस कानून के तहत किसी आरोपी को दोषी ठहराने के लिए विचार नहीं किया जा सकता। वहीं उनके वकील सतीश मानेशिंदे ने इस मामले में बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश के मद्देनजर परिस्थितियों में स्पष्ट रूप से बदलाव हुआ है, जिसके कारण जमानत को लेकर फिर से विचार किए जाने की आवश्यकता है। आगे उन्होंने बताया कि शोविक ने याचिका में दोहराया कि उन्हें मामले में ‘गलत तरीके से फंसाया’ गया है।

आरोपी के खिलाफ बिना सोचे समझे धारा 27 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।अभी तक पेश की गई हिरासत में लेने संबंधी अर्जियों में ऐसे किसी आरोप का जिक्र नहीं किया गया है, जो एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27ए के तहत आते हों। एनसीबी ने शोविक द्वारा खरीदे गए नशीले पदार्थों की मात्रा और नशीले पदार्थों के प्रकार के बारे में कुछ नहीं कहा है। आम आदमी की भाषा में, जांच एजेंसी का मामला यह है कि शोविक सुशांत को नशीले पदार्थ मुहैया कराने में समन्वय स्थापित करता था। ये सभी बाते याचिका में कही गई है।