चाइल्ड ट्रैफिकिंग/ बाल तस्करी

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ये एक बहोत ही संवेदनशील मुद्दा है और इस मुद्दे पर सभी को बात करना चाहिए और सजग रहना चाहिए। भारत देश मे हर साल कितने बच्चे गायब होते है और इसे किस तरह से अंजाम दिया जाता है और इसके लिए सरकार पुलिस प्रसाशन क्या कर रही है इसके लिए आवाज़ उठाना जरूरी है। देखा गया है कि इस तरह ही तस्करी में लड़कियों की संख्या ज्यादा है, क्यो की उनको उपयोग ज्यादा होता है।
हमारे ही देश मे हर 6 से 8 मिनट में एक बच्चा गायब होता है, जितने देर में आप मेरी ये पोस्ट पड़ेंगे उतने समय मे कही एक बच्चा और बाल तस्करी का शिकार हो गया होगा। पश्चिम बंगाल से बच्चो के गायब होने की संख्या सबसे ज्यादा है। ये वो बच्चे है जिन्हें ठीक से हिंदी तक बोलना भी नही आती, जिसके कारण ये अपने साथ होने वाली यातनाएं भी नही बता पाते है।
इक सर्वे के अनुसार बच्चो की तस्करी में जो मुजरिम पकड़े गए है उनमें से एक तिहाई महिलाएं थी। जिनमें बच्चों के दू रिश्तेदार को भी ऐसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए साथ मे लिया जाता है जिससे बच्चों की रेकी कर उसे उठाया या झूल बोलकर काम के लिए दूसरे शहर भेजना और भी आसान हो जाता है। अक्सर ऐसे में घटना घट जाने के कई समय के बाद घरवालों को इसकी खबर लगती है। जिसके कारण बच्चे को बचाना और भी मुश्किल हो जाता है।
यहां खास बात ये है कि घटनाएं और घटनाओ को अंजाम देने वाले यही हमारी बनाई भीड़ में हम सब के बीच ही छुपे चेहरे है, पर हम आदतन बिन सर पैर की बातो को खबरे बनाने और पढ़ने में इतना बिजी है कि हम देख या समझ ही नही पाते कि हमारे आस पास कोई ऐसा तो नही जिसे हमारी मदद की जरूरत है या ऐसी कोई घटना तो नही होने वाली है जिसे सजग होकर रोका जा सके।

सोचो कितना निर्मम होता होगा छोटे बच्चो को उनके परिवार से खिंचकर कही दूर उनके अबोध बचपन की निर्ममता से हत्या कर देना, उनके कोमल शरीर को नोचना मानसिक और शारीरिक असहनीय आजीवन की पीड़ा देदेना ।
हमारे देश मे अक्सर पड़ोसी देश जैसे बांग्लादेश या नेपाल की चोटी बच्चियों को चुरा कर यहां देह व्यापार में फेंक दिया जाता है। जिनका वापस लौटना और भी मुश्किल होता है। इनमें से कई बच्चियों की उम्र 6,7 साल की ही होती है, कल्पना कर सकते हो किस दर्द और डर में गुजरती होंगी वे। उनकी चीख कितनी गहरी पर अंधेरो में गुम होने वाली होती होगी। यहां तक कि उनको वयस्क दिखाने के लिए इतनी छोटी उम्र में उनको हार्मोन्स के इंजेक्टशन तक दिए जाते है । मानव अंगों की तस्करी में भी इनका बड़ा उपयोग किया जाता है। कुछ तस्कर तो बच्चों को बेचने के लिए महिलाओं और लड़कियों को जबरन गर्भ धारण करने और बच्चों को पैदा करने के लिए तक मजबूर करते है। इनकी पीड़ा आप के और मेरी सोच से कई आगे है ।
बाल तस्करी का सबसे बड़ा कारण है गरीबी और बाल मजदूरी है और उसके ऊपर सालो से आ रही लचर व्यवस्था। जो तस्करी की इस चेन को तोड़ने में नाकाम रही है। सरकारे बदलती रही पर इनकी पीढ़ा कम नही हुई।
महत्वपूर्ण बात यह है कि मानव तस्करी के उन्मूलन में प्रयासों के आधार पर भारत को पिछले लगभग एक दशक से श्रेणी 2 में रखा गया है। श्रेणी 2 में उन देशों को रखा जाता है जो मानव/ बाल तस्करी के उपायों का अनुसरण नही करते।
हम हमेशा सरकार का या कानून का मुँह नही देख सकते हमे भी अपने चारों और देखना या आस पास किसी मासूम चीख सुनाई देने पर आवाज़ उठाना होगा या कम से कम इतना तो कर ही सकते है कि सही मुद्दों पर लिखना और पढ़ना सीख जाए हम।

प्रज्ञेश