नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य होगा जो कि सीधे किसानों से गोबर ख़रीदेगा। राज्य शासन ने इसके लिए बक़ायदा मूल्य भी निर्धारित कर दिया है, जो कि 2 रुपए प्रति किलोग्राम होगा। देश की अपनी तरह की अनूठी ’गोधन न्याय योजना’ का आज हरेली पर्व पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुभारंभ किया। हरेली प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण से जुड़ा त्यौहार है। पहले चरण में, ग्रामीण क्षेत्रों में 2408 और शहरी क्षेत्रों में 377 गोठानों में गोधन योजना के तहत गोबर की खरीदी शुरू की जाएगी।
यह योजना पूरी तरह से गांवों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आधार पर तैयार की गई है। इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए एक पूर्ण प्रणाली काम करेगी।
इस पूरी प्रक्रिया के संचालन में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं के साथ गांव के युवाओं की भी सक्रिय भागीदारी होगी। सरकार गोबर की खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट तैयार करेगी, जिसके माध्यम से प्रदेश जैविक खेती की दिशा में आगे बढ़ेगा। गोधन न्याय योजना के माध्यम से तैयार किए जाने वाले वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से की जाएगी। राज्य में, किसानों के साथ, वन विभाग, कृषि, बागवानी, शहरी प्रशासन विभाग को वृक्षारोपण और बागवानी की खेती के समय बड़ी मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है। इस योजना के माध्यम से उत्पादित उर्वरक से इसकी आपूर्ति की जाएगी। सरकार अतिरिक्त जैविक खाद के मार्केटिंग की भी व्यवस्था करेगी। किसानों को वर्मी कम्पोस्ट खाद का वितरण बैंक-सहकारी समिति द्वारा वस्तु ऋण के रूप में किया जाएगा।
गोधन न्याय योजना के तहत किसानों और पशुपालकों से 2 रुपए प्रतिकिलो की दर से सरकार गोबर खरीदेगी वहीं, वर्मी कम्पोस्ट खाद की विक्रय दर 8 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है। इस योजना से राज्य में खुले चराई को रोकने और सड़कों और शहरों में आवारा पशुओं के प्रबंधन को सुनिश्चित करेगी। जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा एवं रासायनिक उर्वरक उपयोग में कमी आएगी। स्थानीय स्व सहायता समूहों को रोजगार भी मिलेगा। भूमि की उर्वरता में सुधार, विष रहित खाद्य पदार्थो की उपलब्धता एवं सुपोषण के स्तर में सुधार होगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि “गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक क्रांतिकारी योजना साबित होगी। इस योजना से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा, खेती की जमीन की गुणवत्ता भी सुधरेगी। गांवों में रोजगार और अतिरिक्त आय के अवसर बढे़ंगे। आवारा पशुओं के कारण होने वाले सड़क हादसों में कमी आएगी। पर्यावरण में भी सुधार होगा।”
गोधन न्याय योजना लागू होने से गोबर कलेक्शन और खाद बनाने के काम में लगभग साढ़े चार लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। खेती-किसानी में गोबर खाद से न केवल धान की पैदावार अधिक होती है, बल्कि उसका खुशबू और स्वाद भी बेहतर होता है। रासायनिक उर्वरक के उपयोग से तैयार फ़सल से काफी नुकसान हो रहा है। इस योजना के दूरगामी परिणाम बेहद ही सुखद अनुभव किसानों को देंगे। गोधन न्याय योजना का लाभ ऐसे मजदूर परिवारों को भी मिलेगा जिनके पास खेती की जमीन नहीं है, लेकिन दो-तीन पशु हैं। इस योजना में गांव के चरवाहों को भी शामिल किया जाएगा। छोटे पशुपालकों को भी इस योजना से प्रति माह 2 से 3 हजार रूपए की आमदनी गोबर की बिक्री से होगी।
प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में ग्रामीणों और किसानों की बेहतरी के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। किसानों की कर्ज माफी के साथ ही उन्हें उनकी फसल का वाजिब मूल्य दिलाने तथा फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के तहत राज्य के 19 लाख किसानों को 5750 करोड़ रूपए की मदद दी जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि दी जा चुकी है। आगामी 20 अगस्त को राजीव किसान योजना की द्वितीय किश्त की राशि जारी की जाएगी।