गतिहीन राष्ट्र को जो दे गति
वो शिवराया है वो छत्रपति ।।
जीजा माता के संस्कार से
दूर रहा जो सदा विकार से
स्वामी समर्थ का रहा आशीर्वाद
कोंडोबा की शिक्षा निर्विवाद
लिए स्वराज का स्वप्न वो
भगवा है जिसकी संस्कृति
वो शिवराय है वो छत्रपति ।।
हिंदवी का जो सागरमाथा है
पराक्रम शौर्य की महागाथा है
सुरक्षित रखा जिसने हिंदुत्व
राष्ट्र निर्माण का किया कर्तुत्व
माँ तुलजा के आशीर्वाद से
भवानी में रही धार और गति
वो शिवराया है वो छत्रपति ।।
नर केसरी तानाजी की आन
बाजी प्रभु के प्राणों की शान
विधर्मी को घर मे घुस मारा
डूबते सनातन को उसने तारा
आगरा के परकोटे रोक न पाये
जिसके व्यक्तित्व में वो गति
वो शिवराया है वो छत्रपति ।।
शत शत नमन हे पितृपुरुष
निर्भय हो घूम रहे स्त्रीपुरुष
अगर न होता आपका पराक्रम
नष्ट हो जाता सनातन धर्म
समरसता के महायज्ञ में
जिसने दी प्राणों की आहुति
वो शिवराया है वो छत्रपति ।।
गतिहीन राष्ट्र को जो दे गति
वो शिवराया है वो छत्रपति ।।
धैर्यशील येवले इंदौर