जल्द शुरू होगा चातुर्मास, 14 नवंबर तक नहीं हो सकेंगे ये शुभ कार्य

Ayushi
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इस साल चातुर्मास 20 जुलाई से शुरू हो रहा है। जो कि 14 नवंबर तक रहेगा। चातुर्मास का मतलब ये होता है कि जब 4 महीने शुभ काम नहीं किए जाते है। ये त्योहारों का सीजन होता है। दरअसल, देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी के बीच के समय को चातुर्मास कहते हैं। चातुर्मास में समस्त प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। चातुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में चार महीने के लिए निद्रासन में चले जाते हैं। ऐसे में सृष्टि के संचालन का कार्यभर भगवान शिवजी संभालते हैं। भगवान विष्‍णु कार्तिक महीने की शुक्‍ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को जागते हैं।

मान्यताओं के अनुसार, जिक्र है कि इन चार महीनों के दौरन श्रीहरिविष्णु पाताल जाकर निद्रा लेते हैं। चातुर्मास का आरंभ देवशयनी एकादशी और समापन देवउठनी एकादशी से होती है। इस दौरान मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि नहीं कराया जाता, क्योंकि मांगलिक कार्यों में भगवान विष्णु का आवाहन किया जाता है। ऐसे में मगर पाताल में शयन करने के कारण वे उपस्थित नहीं हो पाते, ऐसे में किसी भी मांगलिक कार्य का फल नहीं मिल पाता है।

चतुर्मास में वर्जित होते हैं यह शुभ कार्य –

चातुर्मास के दौरान शादी-विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। लेकिन इस दौरान धर्म, दान-पुण्‍य करने का बहुत महत्‍व है। मान्‍यता है कि चातुर्मास में पूजा-आराधना करने से भगवान जल्‍दी प्रसन्‍न होते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से बहुत लाभ मिलता है। इसके अलावा गरीबों को दान करने, पशु-पक्षी को भोजन देने से भी बहुत पुण्‍य मिलता है।