चरैवेति चरैवेति

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मत फड़फड़ा पंछी
मर्जी उसकी ही चलेगी
कर कोशिश भले ही
थकहार हाथ ही मलेगी ।

तेज बहती हवा से
तिनके बुलंदी पा जाते है
थमते ही हवा का शोर
जमीन पर आ ही जाते है ।

भरम में मत रह नादान
कोई सम्बल दे जाएगा
सिर पर रख पाव तेरे
वो ऊपर चढ़ जाएगा ।

लेकर फूल अपने हाथ मे
उससे मिलने क्यो जाएगा
ऐसी क्या मजबूरी है तेरी
जो बारम्बार मिलने जाएगा ।

तू तब तक ही मीठा है
जब तक तुझ में रस है
जब हो जाएगा खाली
कहेंगे सब ये तो नीरस है ।

तेरे साथ सिर्फ तू है
बात कड़वी पर सच है
उतार फेंक फालतू बोझ
यही रिश्तों का सच है ।

धैर्यशील येवले इंदौर