आज मंगलवार 8 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है, जिसे हम ‘कार्तिक पूर्णिमा’ के नाम से जानते हैं। आज पूर्णिमा के दिन भारत में वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। सनातन धर्म के अनुसार चंद्र ग्रहण में सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले प्रारम्भ हो जाता है, जबकि सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल 12 घंटों पहले शुरू हो जाता है। भारतीय पंचाग के अनुसार भारत में चंद्र ग्रहण आज मंगलवार 8 नवंबर 2022 को शाम 5 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा और शाम 6 बजकर 20 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, जबकि सूतक काल 8 नवंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर शुरू हो जाएगा
क्यों होता है चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण एक वैज्ञानिक गतिविधि है, परन्तु हमारे सनातन धर्म में ग्रह नक्षत्रों की चाल और स्थिति का ज्योतिषी प्रभाव पृथ्वीलोक और उसके सभी निवासियों से सीधे संबंधित बताया गया है। कोरी कल्पना मानने वाला विश्व भी अब भारत की इस ज्योतिष विज्ञानं की परम्परा पर विश्वास और श्रध्दा रखने पर विवश होता दिखाई देता है। चंद्रग्रहण का वैज्ञानिक का कारण है चन्द्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी का एक सीध में आ जाना, जिससे चन्द्रमा पर पढ़ने वाली सूरज की रौशनी कुछ देर के लिए गायब हो जाती है, जिससे चाँद अपनी चांदनी से कुछ देर के लिए महरूम हो जाता है। हमारे सनातन धर्म में चंद्रग्रहण और सूर्य ग्रहण के कुछ समय पहले से कुछ देर बाद तक सूतक काल माना जाता है, जिसके लिए कुछ विशिष्ठ नियमों के निर्देश भी दिए गए हैं।
ये कार्य हैं वर्जित
सूतक काल को लेकर हमारे सनातन धर्म में कुछ विशिष्ट मान्यताएं और निर्देश निर्धारित हैं। सनातन धर्म के अनुसार चंद्र ग्रहण के समय चन्द्रमा को खुली आँखों से नहीं देखना चाहिए, वैज्ञानिक कारणों से भी चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण को देखना आँखों की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इसके साथ ही सूतक काल के दौरान कुछ भी खाना और पीना भी सही नहीं माना गया है, अतः इससे बचना ही सही है। ग्रहण काल के दौरान सोना भी वर्जित बताया गया है। सूतक काल शुरू होने से पहले, कुश घास के सूखे तिनकों अथवा तुलसी के पत्तों को खाने के बर्तन और पानी में डालना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इस दौरान बाहर निकलना वर्जित माना गया है।इस दौरान भगवान शिव के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का पूजन और ध्यान करना चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद सबसे पहले स्नान करें और घर की साफ सफाई करके गंगाजल छिड़कने के निर्देश हमारे सत्य सनातन धर्म में दिए गए हैं ।