नई दिल्ली। केंद्र एवं राज्यशासन संयुक्त रूप से एक्सप्रेस-वे की स्वीकृति देंगे। यह एक्सप्रेस–वे विकास के पूर्व सुविधाका सर्वोच्च उदाहरण होगा
केन्द्र एवं राज्यसरकार के समन्वय से बनने वाला आधारभूत-संरचना के विकासका नवीनतम मॉडल साबित होगा। एक्सप्रेस-वे तीन राज्यों उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान से होकर गुजरेगाएवं स्वर्णिम चतुर्भुज के दिल्ली-कलकत्ता खण्ड एवं उत्तर-दक्षिण गलियारे को राजस्थान में कोटा के पास, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे व पूर्व-पश्चिम गलियारे सेजोड़ेगा।
भूमि को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित कर उपलब्ध कराना है। एक्सप्रेस-वे को वित्त-संगत बनाने के लिये राज्य सरकारों को भूमि अधिग्रहण के अतिरिक्त रॉयल्टी में रियायत देनी होगी। एक्सप्रेस-वे चंबल नदी के किनारे प्रस्तावित है अतः पानी एवं सड़क संपर्ककीउपलब्धता होने पर क्षेत्र का चर्हुमुखी विकास संभव होगा। इस परियोजना को एक वर्ष के अन्दर भूमि अधिग्रहण करने के पश्चात् 2 वर्ष में पूर्ण करने का लक्ष्य है।
राज्य सरकारों से अपेक्षित है कि भूमि अधिग्रहण,खनन की अनुमति, वन एवं पर्यावरण की स्वीकृति को द्रुत गति से क्रियान्वित करने कीप्रक्रिया को समयबद्ध व सुदृढ़ करना होगा ताकि यह परियोजना समयपरपूर्ण की जा सके। एक्सप्रेस-वे पिछड़े क्षेत्र बीहड़ से होकर गुजरेगा। इटावा से कोटा की दूरी कम होगी तथा लगभग 4-5 घण्टे की यात्रा समय की बचत होगी। एक्सप्रेस-वे के बनने से चंबल क्षेत्र के पिछड़े इलाके विकसित होंगे।
एक्सप्रेस-वे में ही दोनों ओर लॉजिस्टिक पार्क,औद्योगिक केन्द्र,कृषि उत्पाद केन्द्र,खाद्य प्रसंस्करण केन्द्र,स्मार्ट सिटीज,शिक्षा केन्द्र,रिसॉर्टस एवं मनोरंजन केन्द्र आदि प्रस्तावित किये जायेंगे।