Eco Friendly Diwali: दिवाली का त्योहार भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह खुशी, रोशनी और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लोग इस अवसर पर अपने घरों की सफाई से लेकर नए कपड़ों की खरीदारी तक की तैयारी पहले से ही करने लगते हैं। मिठाइयों की खरीदारी और अन्य गतिविधियां भी इसी दौरान शुरू हो जाती हैं। दिवाली के दिन लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी रोशनी, दीयों और मोमबत्तियों से सजाते हैं।
पर्यावरण के प्रति सजगता
हालांकि, दिवाली पर पटाखे फोड़ने से निकलने वाले धुएं के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, जिससे कई शहरों में पटाखों पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। ऐसे में इस दिवाली को इको-फ्रेंडली तरीके से मनाने के लिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं।
1. दीयों का उपयोग
दिवाली की रात को दीप जलाने की परंपरा है, लेकिन आजकल लोग अक्सर मोमबत्तियों और प्लास्टिक के दीयों का उपयोग करते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। इस बार, मिट्टी के दीयों का उपयोग करें, जो न केवल पारंपरिक हैं बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर हैं।
2. पटाखों से दूरी
दिवाली पर पटाखे फोड़ने की परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो गया है। इको-फ्रेंडली दिवाली मनाने का एक तरीका यह है कि पटाखों का पूरी तरह से उपयोग बंद कर दिया जाए या फिर इको-फ्रेंडली पटाखों का चुनाव किया जाए।
3. रंगोली सजाने के प्राकृतिक तरीके
दिवाली पर घरों में रंगोली बनाने की परंपरा है। इस बार रंगोली बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों या फूलों का उपयोग करें। आप कॉफी पाउडर का भी उपयोग करके रंगोली बना सकते हैं, जो एक सुंदर और इको-फ्रेंडली विकल्प है।
4. सजावट में प्लास्टिक से बचें
दिवाली के दौरान सजावट के लिए प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग कम करें। कृत्रिम डोर पोस्ट खरीदने के बजाय, असली फूलों की मालाएं बनाएं या घर में मौजूद बेकार कागज या कपड़ों का उपयोग करके सजावट करें।
5. पेपर बैग का उपयोग करें
दिवाली पर जब लोग एक-दूसरे के घर मिठाइयां और उपहार लेकर जाते हैं, तो प्लास्टिक बैग की बजाय पेपर बैग या हाथ से बने कागज का उपयोग करें। यह पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प है और उत्सव की सुंदरता को बढ़ाता है।